मोदी सरकार में भारत पर करोड़ों के कर्जे में कितनी है सच्चाई?
मोदी सरकार को भारत पर राज करते 9 साल हो गए हैं और बीजेपी पार्टी इसका जश्न मना रही है, इसीबीच कांग्रेस पार्टी के दावा किया है कि मोदी राज में भारत पर नौ साल में तीन गुना कर्ज़ा बढ़ गया है। इस दावे में कितनी सच्चाई है इसी की हम पड़ताल कर रहे हैं।
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कांग्रेस पार्टी ने दावा किया गया है कि मोदी सरकार ने सिर्फ़ नौ सालों में भारत पर कर्ज़ तीन गुना कर दिया है। बीजेपी इन दिनों मोदी सरकार के नौ साल पूरे होने का जश्न मना रही है। इस मौक़े पर बीजेपी ने महासंपर्क अभियान शुरू किया है।
इसके तहत मोदी सरकार के कैबिनेट मंत्री, बीजेपी शासित राज्यों के मुख्यमंत्री और पार्टी कार्यकर्ता देश के सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में सरकार की उपलब्धियों के बारे में जानकारी दे रहे हैं। इस दौरान कांग्रेस प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत ने आरोप लगाया कि अर्थव्यवस्था की वर्तमान स्थिति के लिए मोदी सरकार का 'आर्थिक कुप्रबंधन' ज़िम्मेदार है।
सुप्रिया श्रीनेत ने कहा, ''मोदी सरकार नौ साल का जश्न मना रही है तो ज़रूरी है कि आईना भी दिखाया जाए। नरेंद्र मोदी जी ने वो कीर्तिमान स्थापित किया है, जो इस देश के 14 प्रधानमंत्री उनसे पहले नहीं कर पाए हैं।''
इस देश के 14 प्रधानमंत्रियों ने कुल मिलाकर मात्र 55 लाख करोड़ रुपए का कर्ज़ा लिया. 67 साल में 14 प्रधानमंत्रियों ने कुल 55 लाख करोड़ रुपए का कर्ज़ा लिया और हर बार रेस में आगे रहने की चाहत वाले नरेंद्र मोदी जी ने पिछले नौ सालों में हिन्दुस्तान का क़र्ज़ा तिगुना कर दिया। 100 लाख करोड़ से ज़्यादा का क़र्ज़ा उन्होंने मात्र नौ साल में ले लिया।'
सुप्रिया का दावा है कि 2014 तक भारत पर 55 लाख करोड़ रुपए का क़र्ज़ था जो अभी 155 लाख करोड़ तक जा पहुँचा है। कांग्रेस के आरोपों पर बीजेपी का कहना है कि कर्ज़ को सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के संदर्भ में रखकर देखा जाना चाहिए।
अमित मालवीय लिखते हैं, 2013-14 से 2022-23 तक भारत की जीडीपी 113.45 लाख करोड़ रुपए से बढ़कर 272 लाख करोड़ रुपए पहुँच गई। यह 139 फ़ीसदी की भारी वृद्धि है. कर्ज़ के बावजूद, मोदी सरकार ने 2014 से अब तक वित्तीय घाटे को कम किया है।
''हालाँकि, 2020-21 में यह थोड़े समय के लिए बढ़ा था। ऐसा उस वक़्त कोविड-19 के कारण लिए गए वित्तीय फ़ैसलों के कारण हुआ था। अब यह दोबारा नीचे आ गया है और वित्त वर्ष 2023 में सरकार का लक्ष्य इसे (जीडीपी का) 6.4 फ़ीसदी तक रखना है।''
2014 तक केंद्र सरकार पर कर्ज़
कर्ज़ को लेकर भारत सरकार ने केंद्रीय बजट की आधिकारिक वेबसाइट पर स्थिति स्पष्ट की है। आधिकारिक वेबसाइट पर 2014 तक 'भारत सरकार की ऋण स्थिति' को लेकर बजट दस्तावेज़ मौजूद हैं। दस्तावेज़ के मुताबिक़, 31 मार्च 2014 तक भारत सरकार पर 55.87 लाख करोड़ रुपए की देनदारियां थीं इसमें से 54.04 लाख करोड़ रुपए आंतरिक ऋण और 1.82 लाख करोड़ रुपए विदेशी (बाहरी) ऋण थे।
आंतरिक ऋण के अंतर्गत खुले बाज़ार में जुटाए जाने वाले कर्ज़, रिज़र्व बैंक को जारी विशेष शेयर्स, क्षतिपूर्ति और अन्य बॉन्ड शामिल होते हैं। विदेशी ऋण वह ऋण होता है, जिसे वाणिज्यिक बैकों, दूसरे देशों की सरकारों और अंतरराष्ट्रीय वित्तीय संस्थानों सहित विदेशी कर्ज़दाताओं से उधार लिया जाता है।
2023 का केंद्र सरकार पर कर्ज़
इस साल फरवरी में जारी किए गए बजट में वित्तीय वर्ष 2022-23 के अंत तक क़र्ज़ की धनराशि का अनुमान 152.61 लाख करोड़ रुपए लगाया गया था। इसमें आंतरिक ऋण लगभग 148 लाख करोड़ रुपए और विदेशी ऋण लगभग पाँच लाख करोड़ रुपए है। अगर इसमें अतिरिक्त बजटीय संसाधन (ईबीआर) और कैश बैलेंस को शामिल किया जाता है, तो कुल अनुमानित कर्ज़ 155.77 लाख करोड़ रुपए हो जाएगा।
सरकार ईबीआर को बजट में लिखित कामों से अलग ज़रूरतों को पूरा करने के लिए रखती है और कैश बैलेंस अतिरिक्त पैसा होता है, जिसे इमरजेंसी में इस्तेमाल किया जा सके।