हिंदुओं की कम आबादी वाले राज्यों में उन्हें अल्पसंख्यक का दर्जा देने की मांग करने वाली याचिका पर सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने इस संबंध में ठोस उदाहरण देने को कहा है।
कोर्ट ने याचिकाकर्ता को उन राज्यों के ठोस उदाहरण देने के लिए कहा है जहां हिंदुओं की आबादी दूसरे समुदायों से कम होने पर भी उन्हें अल्पसंख्यक दर्जे के लाभ नहीं दिए जा रहे हैं।
याचिकाकर्ता का कहना है कि लद्दाख में हिंदुओं की आबादी एक प्रतिशत, मिज़ोरम और लक्षद्वीप में 2।8 प्रतिशत, कश्मीर में चार प्रतिशत, नागालैंड में 8।7 प्रतिशत, मेघालय में 11।5 प्रतिशत, अरुणाचल प्रदेश में 29 प्रतिशत, पंजाब में 38।5 प्रतिशत और मणिपुर में 41।3 प्रतिशत है।
कोर्ट ने कहा कि ये तय स्थिति है कि किसी समुदाय के लिए धार्मिक और भाषाई अल्पसंख्यक का दर्जा आबादी के आधार पर राज्यवार तरीक़े से तय किया जाता है। ये न्याय का उपहास है कि अगर मिज़ोरम और नगालैंड में बहुसंख्यक ईसाइयों और पंजाब में सिखों को अल्पसंख्यक का दर्जा दिया जाए।