यूक्रेन युद्ध पर पश्चिमी देशों की समाचारिक शैली की समीक्षा
यूक्रेन युद्ध पर पश्चिमी देशों की समाचारिक शैली की एक व्यापक समीक्षा हमें इस युद्ध और इसके पीछे छिपे हुए बहुत से उद्देश्यों पर समझ को स्पष्ट करते हैं।
Table of Contents (Show / Hide)
लेखक और विश्लेषक: एडवर्ड विल्सन
रूस के खिलाफ में पश्चिम, यानी यूरोपीय देशों और अमेरिका, और अधिक सटीक रूप से नाटो सदस्यों के व्यवहार की समीक्षा बहुत सी वास्तविक्ताएं सामने लाती है।
रूस के साथ सत्ता संघर्ष में इन देशों को अपनी तमाम कल्पनाओं के विपरीत करारी हार का सामना करना पड़ा है और अपने गलत आकलन के क्रम में वे यथासंभव लंबे समय तक खेल जारी रखने की कोशिश कर रहे हैं।
वास्तविक प्रकाशित आँकड़ों के आधार पर 18 महीनों के युद्ध पर एक नज़र डालने से पता चलता है कि नाटो को शर्मनाक हार का सामना करना पड़ा है और उसके पास दिखाने के लिए वस्तुतः कुछ भी नहीं है।
युद्ध में हताहतों की संख्या के बारे में प्रकाशित आँकड़ों, यूक्रेन की जीत के बारे में मीडिया का लगातार झूठ बोलना और अंततः हर स्थिति में युद्ध का समर्थन जारी रखना दर्शाता है कि पश्चिम तथ्यों को स्वीकार नहीं करना चाहता है।
यह भी पढ़ें रुस के खिलाफ़ इस्तेमाल होने वाले 155 मिमी गोले कैसे बनाए जाते हैं?
यूक्रेन युद्ध पर पश्चिमी देशों की समाचारिक शैली
पिछले एक या दो दिनों के दौरान, कई महत्वपूर्ण घटनाएं घटीं, उनमें से प्रत्येक की जांच से पता चलता है कि हम जनता द्वारा फर्ज़ी खबरों पर विश्वास कर लेने, या फिर रूस की आंतरिक स्थिति पर झूठ परोसते इन देशों के मीडिया प्रतिष्ठान सभी दिखाते हैं कि हम पश्चिम के एक नए व्यवहार और दिशा का सामना कर रहे हैं।
अगर युद्ध के आरम्भिक दिनों को देखें तो आपको ब्रिटिश मीडिया रोज़ाना रूसी नेताओं को लेकर तरह तरह की दर्जनों बीमारियों की बात कह रहे थे। क्रेमलिन अधिकारियों के बीच गंभीर राजनीतिक मतभेदों और सैन्य विभाजन की बात हो रही थी, यहां तक कि झूठी खबरें फैलाई जा रही थी कि रूस के लोग शासन के विरोध में खड़े हैं।
लेकिन आज यही माडिया अपनी उन्हीं पुरानी बातों को दोहराने की स्थिति में नहीं है, इससे पता चलता है कि क्षेत्र की वास्तविकता मीडिया के झूठ से मेल नहीं खाती है। इन कुछ महीनों में मैंने जो अनुभव प्राप्त किया है उसके आधार पर मैं इस निष्कर्ष पर पहुंचा हूं कि पश्चिमी मीडिया द्वारा प्रकाशित किसी भी खबर पर भरोसा नहीं किया जाना चाहिए।
वहां के मीडिया प्रतिष्ठा ऐसी चौंका देने वाली झूठी खबरें लाता है कि इंसान चकित हो जाता है। पहले तो मुझे लगा कि इन खबरों का असर केवल सामान्य लोगों पर ही पड़ता है, लेकिन मैंने ऐसे दावेदारों को देखा जो इन खबरों से बेहद प्रभावित थे और उन पर विश्वास करते थे।
यह भी पढ़ें क्या रूस और यूक्रेन के बीच शांति करा पाएगा सऊदी अरब ?
जब मैंने मीडिया और न्यूज से संबंध रखने वालों तक में इस हद का विश्वास देखा, तो मुझे एहसास हुआ कि पश्चिमी लोग अच्छी तरह समझ गए हैं कि कहां निवेश करना है। यही कारण है कि मैं कहता हूं कि हमें विभिन्न घटनाओं के सामने पश्चिम के व्यवहार के प्रति सावधान रहना चाहिए और मीडिया में फैल रहे झूठ से निपटने के लिए हमारे पास एक स्वतंत्र विश्लेषण कक्ष होना चाहिए।
अमेरिकीयों के लिए खास शैली
लेकिन अमेरिका में समाचार का एक अलग तरीक़ा है, जहां एक तरफ हमले का आदेश जारी किया जाता है, तरीक़े बताए जाते हैं और दूसरी तरफ मीडिया में इसका कड़ा विरोध किया जाता है!
यह न्यूज़ ट्रिक अमेरिकियों के लिए खास है! पिछले हफ्तों के दौरान, नाटो तत्वों ने केर्च पुल पर दर्जनों बार हमला किया है। यह वही पुल है जो क्रीमिया को यूक्रेन के मुख्य क्षेत्र से जोड़ता है। ये हमले फ्रांसीसी और ब्रिटिश क्रूज़ मिसाइलों से किए जाते हैं, और कभी-कभी यूएवी जो आम तौर पर फ्रांस में बने होते हैं, इन हमलों में भाग लेते हैं।
संयुक्त राज्य अमेरिका की अनुमति, सहयोग और समर्थन से जारी इन हमलों का सामान्य परिणाम रूस का मुंहतोड़ जवाब है। जो अपने हर जवाब में यूक्रेन के बुनियादी ढांचे के एक बड़े हिस्से को ध्वस्त कर देती हैं। लेकिन यह जानना दिलचस्प है कि अमेरिकी सैन्य अधिकारियों ने सीएनएन को बताया है कि वे इन हमलों के खिलाफ हैं!!
एक वरिष्ठ अमेरिकी रक्षा अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बात पर नेटवर्क को बताया:
"गहरे हमलों की इस रणनीति ने रूसियों का संतुलन थोड़ा बिगाड़ दिया है, लेकिन इससे निर्णायक कुछ भी नहीं होने वाला है। और शायद उन सभी के लिए यह सबसे अच्छा है जो केवल जवाबी हमला करने पर ध्यान केंद्रित करें हैं।"
यूक्रेन में युद्ध पर अमेरिकियों का इस स्तर का दोहरापन और झूठ अभूतपूर्व है। दरअसल, वे रूसी पक्ष को यह संदेश देना चाहते हैं कि वे क्रीमिया पुल पर हमले के खिलाफ हैं, ताकि वे रूस की जवाबी कार्रवाई का निशाना न बनें।
यह भी पढ़ें मारे जाते यूक्रेनी युवा, क्या होगा इस युद्ध का परिणाम?
और दूसरा मुद्दा यह है कि जब अगले कुछ हफ्तों में सब कुछ नष्ट हो जाएगा तो कोई अमेरिका पर आरोप नहीं लगा सकेगा और एक बार फिर इस सबके लिए ज़ेलेंस्की को दोषी ठहराया जाएगा। इसे उन सैकड़ों समाचारों के साथ रोज़ाना पश्चिमी मीडिया द्वारा फैलाई जानी वाली खबरों को एक साथ रखें ताकि हम अमेरिका और पश्चिमी देशों द्वार रची जाने वाली साज़िशों को समझ सकें।