मोरक्को में भूकंप के बाद आज दूसरा सूरज निकला है और देशभर में लोग 6.8 तीव्रता के विनाशकारी भूकंप के बाद की बर्बादी से उबरने की कोशिश कर रहे हैं। देश के गृह मंत्रालय के मुताबिक़ सर्वाधिक तबाही सांस्कृतिक और ऐतिहासिक शहर मराकेश के दक्षिण में हुई है।
भूकंप के बाद आने वाले झटकों के डर से दूसरी रात भी लोग घरों के बाहर ही सड़कों और पार्कों में बैठे रहे यहीं रात गुज़ारी। इस भूकंप का केंद्र हाई एटलस पर्वत श्रंखला में था और सर्वाधिक प्रभावित क्षेत्रों से मिल रही रिपोर्टों के मुताबिक़ भूकंप के बाद गांव-गांव तबाह हो गये हैं।
हालांकि अभी भी पूरी जानकारियां नहीं मिल सकी हैं। कई जगहों पर पूरे परिवार मलबे के नीचे दबे हैं और राहत और बचाव कर्मियों को उन तक पहुंचने में मुश्किलें आ रही हैं।
सर्वाधिक प्रभावित क्षेत्रों तक राहत बचाव कर्मियों और साज़ो-सामान को पहुंचाना भी चुनौती बना हुआ है। भूकंप के बाद मलबे की वजह से कई इलाक़ों में सड़कें जाम हैं या टूट गई हैं।
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इन दूरस्थ पहाड़ी इलाक़ों में कई गांव ऐसे हैं जहां बड़ी संख्या में मौतें हुई हैं। लाशेन नाम के व्यक्ति की पत्नी और चार बच्चों की भूकंप में मौत हो गई।
लोगो ने बताया “मैंने सबकुछ गंवा दिया मैं अब कुछ नहीं कर सकता मैं सिर्फ़ दुनिया से दूर होकर अपनों का ग़म मनाना चाहता हूं।” गांव में मारे गए लोगों को दफ़नाने के लिए क़ब्रें खोदी जा रही हैं। एक स्थानीय निवासी हसना ने कहा, “पूरा गांव अपने बच्चों के ग़म में डूबा है।” भूकंप का केंद्र मराकेश के दक्षिण में 75 किलोमीटर दूर है और यहां पहाड़ों पर कई छोटे गांव हैं।
फ़्रांस, अल्जीरिया और तुर्की सहित दुनिया के कई देशों ने मोरक्को को मदद की पेशकश की है। तुर्की में इसी साल आये विनाशकारी भूकंप में कम से कम 50 हज़ार लोगों की मौत हो गई थी।
कई जगह समूचे परिवार ही मलबे में फंसे हैं। उनकी एक रिपोर्ट के मुताबिक़ एक दूरस्थ गांव में एक ही परिवार के 18 लोगों की मौत हो गई। यहां उन्हें एक बुज़ुर्ग महिला शवों के पास रोते हुए मिलीं। पहाड़ी इलाक़े में एक गांव में पहुंचे निक बीके के मुताबिक़ चारों तरफ़ बर्बादी का मंज़र है।
टेंट में बने एक अस्थायी अस्पताल में लोगों का इलाज किया जा रहा है। भूकंप के बाद इस दूरस्थ इलाक़े में पानी और बिजली का भी संकट है। एंबुलेंसों को पहुंचने में भी दिक़्क़त आ रही है।