बतातें चले कि सीमा से सटी अन्य बस्तियों को पहले ही खाली कर दिया गया था।किर्यात शमौनेह से यहूदी बस्तियों का खाली कराए जाने से पता चलता है कि लेबनान से सटी इजरायल की सीमा पर सुरक्षा स्थिति अच्छी नहीं है। साथ ऐसा लगता है कि जल्द ही इजरायल लेबनान के विरुद्ध भी युद्ध छेड़ सकता है।
हालांकि इस क्षेत्र की भौगोलिक स्थिति को देखते हुए कहा जा सकता है कि क्षेत्र से नागरिकों की निकासी से लेबनान का प्रतिरोधी बल हिज्बुल्लाह भी खुश होगा, क्योंकि बस्तियों का खाली किया जाना प्रतिरोधी बलों के अभियान को भी आसान बनाएगा।
यह अलजलील का वह क्षेत्र है जो फिलिस्तीन की उंगलियों के नाम से प्रसिद्ध है और लेबनान व इजरायली कब्ज़े वाले गोलान हाइट्स के बीच में स्थिति है उस पर हिजबुल्लाह बहुस समय से कब्ज़ा करना चाहता है।
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आप्रवासी बस्तियों के निर्माण की बेन-गुरियन की अस्ली नीति में, आत्मरक्षा का मुद्दा था, और यही कारण है कि इस क्षेत्र के सभी निवासी सशस्त्र हैं, और गाज़ा के बच्चों पर हमला करने वाली इजरायली सेना का एक हिस्सा माने जाते हैं।
हालांकि अब इजरायल के यह समझ में आ गया है कि इस क्षेत्र में हिज़्बुल्लाह है और इसको छोड़ कर भाग जाना चाहिए।