इस ड्ऱ़ॉ से यह ग्रुप अभी खुला हुआ है और आगे के परिणामों से ही तय होगा कि टॉप पर कौन सी टीम रहती है।
मौजूदा हॉकी में किसी भी टीम की बड़ी बढ़त भी मायने नहीं रखती है, क्योंकि मैच को कभी पलटा जा सकता है।
इंग्लैंड की टीम एक समय 1-4 से पिछड़ी हुई थी पर उन्होंने आख़िरी क्वार्टर में शानदार प्रदर्शन करके मैच का रुख एकदम से बदल दिया।
अंतिम कुछ मिनट में तो भारत पर हार का खतरा मंडराता नजर आया। पर भारतीय किसी तरह मैच ड्रॉ कराकर अंक बांटने में सफल हो गई।
एक्शन से भरपूर रहा आख़िरी क्वार्टर
इंग्लैंड ने तीसरे क्वार्टर में लियम एनसेल के गोल से यह संकेत तो दिया कि वह खेल में वापसी का इरादा रखती है।
लेकिन चौथा क्वार्टर शुरू होते ही भारतीय टीम के तारनहार माने जाने वाले हरमनप्रीत सिंह ने पेनल्टी कॉर्नर पर ड्रेग फ्लिक से गोल भेदकर भारत को 4-1 की बढ़त दिलाकर टीम को जीत की तरफ बढ़ाने का संकेत दिया।
पर इंग्लैंड टीम के इरादे कुछ और थे और उन्होंने इस हाफ में ताबड़तोड़ हमले बनाकर अब तक जो भारतीय डिफेंस अभेद्य नजर आ रहा था, उसमें दरारें नजर आने लगीं।
इंग्लैंड की वापसी में उनकी बदली हुई रणनीति ने भी अहम भूमिका निभाई। पहले वह सीधे शॉटों से गोल भेदने का प्रयास कर रह थे।
लेकिन इस क्वार्टर में उन्होंने गेंद के डिफलेक्शन से गोल भेदने का प्रयास किया, इससे वह तीन गोल जमाकर 4-4 की बराबरी करने में सफल रहे।
भारत की निश्चित नजर आ रही जीत को ड्रॉ में बदलने में खिलाड़ियों के टैकलिंग में संयम नहीं दिखाने ने भी अहम भूमिका निभाई।
जिस समय इंग्लैंड की टीम आख़िरी क्वार्टर में वापसी के लिए ज़ोर बांध रही थी, उस समय हमारे दो खिलाड़ी वरुण कुमार और गुरजंत गलत टैकलिंग करके पीला कार्ड लेकर बाहर बैठ गए थे।
खेल समाप्ति से नौ मिनट पहले भारतीय टीम नौ खिलाड़ियों के साथ खेल रही थी। इसका परिणाम यह हुआ कि भारतीय हमलों की तो जान निकल ही गई। साथ ही बचाव की संरचना भी बिखरती दिखी।
सोर्स बीबीसी