कभी न कभी आपको किसी दोस्त ने ज़रूर बताया होगा कि आपकी तरह का शक्ल-सूरत वाला कोई शख़्स उसे मिला था। कहीं वो आपका जुड़वां भाई तो नहीं है। बिल्कुल हू-बहू आपकी कॉपी। लेकिन जो जैविक नहीं डिजिटल ज़िदगी जीता हो।
और जिस तरह मेटावर्स ( एक वर्चुअल,डिजिटल दुनिया जहां आपका अवतार घूम रहा होगा) पर खूब बातें हो रही हैं और उसी तरह डिजिटल ट्विन्स यानी जुड़वां भी नए टेक ट्रेंड में शुमार हो चुका है।
डिजिटल ट्विवन या डिजिटल जुड़वां वास्तविक दुनिया की हू-बहू कॉपी होगा। लेकिन इसका एक मिशन होगा। ये वास्तविक दुनिया की ज़िदगी को बेहतर करेगा या किसी ने किसी उसे फीडबैक देगा ताकि इसमें सुधार हो सके।
शुरुआत में इस तरह के ट्विन्स सिर्फ़ अत्याधुनिक 3डी कंप्यूटर मॉडल का जमावड़ा भर थे। इनमें इंटरनेट ऑफ थिंग्स लगे होते थे ( ये फिजिकल चीजों को कनेक्ट करने करने के लिए सेंसर का इस्तेमाल करते हैं)।
इसका मतलब ये है कि आप डिजिटली कोई ऐसी चीज बना सकते हैं जो मूल यानी असली चीज़ों से लगातार सीख रही हो और उसे बेहतर करने में भी मदद कर रही हो।
जल्द ही मनुष्य का डिजिटल जुड़वां तैयार होगा
टेक्नोलॉजी एनालिस्ट रॉब एंड्रेले का मानना है कि इस दशक के ख़त्म होने से पहले तक जल्द ही मनुष्य का डिजिटल जुड़वां होगा, जो सोच सकेगा।
वह कहते हैं, '' लेकिन इन चीज़ों के सामने लाने से पहले काफ़ी सोच-विचार की ज़रूरत है। इसमें नैतिकता के सवाल भी जुड़े होंगे। जैसे- सोचने में सक्षम हमारा डिजिटल जुड़वां नौकरियां देने वालों के लिए काफी उपयोगी साबित हो सकता है। ''
फर्ज़ कीजिये आपकी कंपनी आपका डिजिटल जुड़वां बना कर कहे '' सुनिए, आपका डिजिटल जुड़वां मौजूद है। हमें इसे सैलरी भी नहीं देनी होती है। फिर हम आपको नौकरी पर क्यों रखें । ''
एंड्रेले कहते हैं कि आने वाले मेटावर्स के जमाने में डिजिटल जुड़वां का मालिकाना हक एक बड़ा सवाल बन जाएगा। उदाहरण के लिए मेटा (पहले फेसबुक) के वर्चुअल रियल्टी प्लेटफॉर्म, हॉरिजन वर्ल्ड्स पर आप अपने अवतार को अपनी शक्ल दे सकेंगे लेकिन आप इस पैर मुहैया नहीं का सकेंगे क्योंकि अभी इससे संबंधित टेक्नोलॉजी शुरुआती दौर में ही है।
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