नाम बदलना परिसीमन अभ्यास का हिस्सा था, जिसके तहत गोरखपुर में वॉर्ड की कुल संख्या 80 हो गई है। इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, जिन वॉर्डों के नाम बदले गए हैं उनमें हुमायूंपुर (उत्तर) शामिल है, जिसे अब हनुमंत नगर कहा जाएगा, इसी तरह तुर्कमानपुर को शहीद अशफ़ाक़ उल्लाह नगर के नाम से जाना जाएगा, जबकि रसूलपुर का नाम बदलकर महाराणा प्रताप नगर और दाउदपुर को अब रघुपति सहाय फिराक़ नगर कहा जाएगा। जाफरा बाज़ार को आत्मा राम नगर, इस्माइलपुर को साहबगंज, मिया बाज़ार को माया बाज़ार, काज़ीपुर खुर्द को जगन्नाथपुर, अलीनगर को आर्य नगर, चक्सा हुसैन को संत झूले लाल नगर और मुफ़्तीपुर को घंटा घर के नाम से जाना जाएगा।
इसी तरह भेरियागढ़ का नाम अब विष्णुपुरम, मोहद्दीपुर का सरदार भगत सिंह नगर, हंसुपुर का श्रीराम चौक, रुस्तमपुर का चंद्रशेखर आज़ाद चौक और इलाहीबाग़ का बंधु सिंह नगर कर दिया गया है। गोरखपुर के महापौर सीताराम जायसवाल ने कहा कि नए नाम गर्व की भावना पैदा करते हैं। लेकिन उन्होंने यह नहीं बताया कि इन नामों के बदलने से विकास की भावना कब पैदा होगी कि जिसपर भी गर्व किया जा सके।
इंडियन एक्सप्रेस से बात करते हुए गोरखपुर नगर निगम के एडिशनल कमिश्नर दुर्गेश मिश्रा ने कहा, ‘नामों को जगहों के ऐतिहासिक महत्त्व को ध्यान में रखते हुए बदला गया है। नए नाम किसी न किसी तरह से उन जगहों का प्रतिनिधित्व करते हैं। वॉर्ड का नाम उन लोगों के नाम पर रखा गया है जो उस जगह से जुड़े थे या उन्होंने वहां के लिए कोई योगदान दिया था।’
समाजवादी पार्टी के नेता और इस्माइलपुर के पार्षद शहाब अंसारी ने आरोप लगाया है कि नाम बदलना ध्रुवीकरण का एक प्रयास है। अंसारी ने कहा कि पार्टी इस संबंध में बैठक करेगी और एक प्रतिनिधिमंडल ज़िलाधिकारी से मुलाक़ात करके नाम बदलने पर अपनी आपत्ति जताएगा। कांग्रेस नेता तलत अज़ीज़ ने नाम बदलने की योजना को पैसे की बर्बादी क़रार दिया। उन्होंने कहा, ‘मैं यह समझने में विफल हूं कि सरकार इसके माध्यम से क्या हासिल करेगी।’ ग़ौरतलब है कि वर्ष 2017 में योगी आदित्यनाथ के पहली बार उत्तर प्रदेश का मुख्यमंत्री बनने के बाद से राज्य के विभिन्न शहर और क्षेत्रों के ‘मुस्लिम लगने वाले’ नामों में ऐसे कई संशोधन किए जा चुके हैं।
सोर्स : पार्स टूडे