नेहरू पर्वतारोहण संस्थान के 34 प्रशिक्षु पर्वतारोही और 7 प्रशिक्षकों की एक टीम हिमस्खलन में फंस गई थी। बचावकर्मियों को अब तक 10 शव दिखे हैं जिनमें से 4 को बरामद कर लिया गया है। घटना की सूचना मिलने के तत्काल बाद एसडीआरएफ और 3 एनआईएम प्रशिक्षकों की 5 सदस्यीय टीम को डोकरियानी ग्लेशियर में हेलीकॉप्टर से उतारा गया था।
अधिकारियों ने बताया कि हिमस्खलन की चपेट में आए प्रशिक्षु पर्वतारोही 17,000 फीट की ऊंचाई पर फंस गए। उधर उत्तराखंड सरकार ने कहा कि अंधेरा होने के कारण रात में बचाव का काम रोक दिया गया था जबकि नेहरू पर्वतारोहण संस्थान ने द्रौपदी का डंडा- 2 पर्वत शिखर पर हिमस्खलन में 4 पर्वतारोहियों की मौत की पुष्टि की है।
एनआईएम के अनुसार 34 प्रशिक्षुओं और 7 पर्वतारोहण प्रशिक्षकों सहित कुल 41 लोग हिमस्खलन की चपेट में आ गए थे. घटना के बाद उत्तराखंड एसडीआरएफ के कमांडेंट मणिकांत मिश्रा ने भारतीय न्यूज एजेंसी एएनआई को बताया था कि द्रौपदी की डंडा-2 पर्वत चोटी पर लगातार भारी बर्फबारी हो रही है। इसके बावजूद एनआईएम के पर्वतारोहण प्रशिक्षुओं को बचाने के लिए भारतीय वायुसेना के हेलीकॉप्टरों के माध्यम से रेकी के प्रयास जारी हैं।
उधर उत्तराखंड के डीजीपी अशोक कुमार ने कहा था कि बचाव की कोशिश के बाद 8 लोगों को बचा लिया गया जबकि अन्य के सटीक स्थान का अभी पता नहीं चल पाया है। आईएएफ़ के एक अधिकारी ने कहा कि उत्तर काशी में बचाव और राहत कार्यों के लिए भारतीय वायुसेना के 2 चीता हेलीकॉप्टर लगाए गए हैं। अन्य सभी हेलिकॉप्टरों के बेड़े को किसी भी अन्य जरूरत के लिए स्टैंडबाय पर रखा गया है।
दूसरी ओर उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल जिले के सिमड़ी गांव के पास रिखनीखाल-बिरोखल मार्ग पर करीब 45 से 50 लोगों को लेकर जा रही एक बस खाई में गिर गई। घटना की सूचना मिलते ही पुलिस मौके पर पहुंचकर राहत और बचाव कार्य में जुट गई है। इस घटना में कम से कम 30 लोगों की मौत की खबर है।
प्राप्त जानकारी के मुताबिक, बारातियों से भरी यह बस लालढांग से काड़ा तल्ला जा रही थी। तभी रास्ते में बीरोखाल के सीमडी बैंड के पास अनियंत्रित होकर खाई में जा गिरी। इस बस में 40 से 50 बारातियों के सवार होने की सूचना है। इनमें से 6 बारातियों के शव खाई से बाहर निकाले गए। इस हादसे में हताहतों की संख्या बढ़ने की आशंका है।
सोर्स पार्स टूडे