भारत यात्रा के दौरान उनकी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से ऊर्जा सुरक्षा पर बात हो सकती है।
रूस-यूक्रेन युद्ध के बाद ऊर्जा सुरक्षा के मोर्चे पर जो चुनौतियां पैदा हुई हैं, उसमें मोदी और क्राउन प्रिंस की मुलाकात काफी अहम मानी जा रही है।
दरअसल रूस समेत ओपेक-प्लस देशों की ओर से तेल उत्पादन में कटौती के बाद हालात पेचीदा हो गए हैं। ओपेक प्लस देशों की ओर से तेल उत्पादन में कटौती के बाद अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने सऊदी अरब को 'नतीजे' भुगतने की चेतावनी दी थी।
जी-20 की बैठक में जो बाइडन भी शामिल होंगे। दरअसल यूक्रेन पर रूस के हमले के बाद उसके खिलाफ पश्चिमी देशों की ओर से लगाए गए प्रतिबंध के बाद तेल और गैस की अंतरराष्ट्रीय राजनीति जटिल हो गई है। लिहाज़ा तेल उत्पादक देशों और तेल के बड़े ग्राहक देशों के बीच रस्साकशी देखने को मिल रही है।
2020 में सऊदी अरब में जी-20 देशों का सम्मेलन हुआ था। अगले साल भारत में ये सम्मेलन होगा। सऊदी के क्राउन प्रिंस और मोदी के बीच इस सम्मेलन के एजेंडे पर भी बातचीत हो सकती है।
द हिंदू' के मुताबिक सऊदी के क्राउन प्रिंस इस भारत यात्रा के दौरान दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय परियोजनाओं की भी समीक्षा करेंगे। दरअसल 2019 में क्राउन प्रिंस ने भारत में 100 अरब डॉलर के निवेश का एलान किया था लेकिन इस पर बात कुछ ज़्यादा आगे नहीं बढ़ी है।
अखबार ने राजनयिक सूत्रों के हवाले से बताया है कि मोदी शायद नवंबर में 10 से 13 नवंबर के बीच हो रहे आसियान-भारत सम्मेलन और ईस्ट एशिया सम्मेलन में हिस्सा न लें। जबकि आसियान-भारत पार्टनरशिप का ये 30वां साल है। इसके लिए एक खास सम्मेलन का आयोजन किया जा रहा है।
सोर्स बीबीसी