भूकंप से तुर्किए में सोमवार तक कम से कम 29,605 और सीरिया में 3,500 से अधिक लोग मारे गए हैं। सीरिया में मरने वालों की संख्या पिछले दो दिनों से अपडेट नहीं हुई है।
तुर्क शहर इस्कंदरन में मरने वालों में से 50 फ़ीसद की पहचान नहीं हो सकी है।
बचावकर्मियों का कहना है कि शवों को पूरे सम्मान से दफ़्नाया जा रहा है, लेकिन कभी-कभी दफ़्न के समय सिर्फ़ शव होता है, लेकिन उस पर रोने वाला या शोक मनाने वाला कोई नहीं होता, क्योंकि भूकंप में पूरे-पूरे परिवार इमारतों के मलबे के नीचे दब गए हैं।
इस दौरान, रविवार को क़तर के अमीर शेख़ तमीम बिन हमद अल-सानी ने तुर्क राष्ट्रपति रजब तैयब अर्दोगान से इस्तांबुल में मुलाक़ात के बाद एक ट्वीट में तुर्किए और सीरिया के पीड़ितों के साथ संवेदना प्रकट की और उन्हें हर संभव सहायता का आश्वासन दिया।
सीरिया पिछले एक दशक से ज़्यादा समय से गृह युद्ध और विदेश प्रायोजित आतंकवाद का दंश झेल चुका है, और अब अब भूकंप ने उसके सामने बड़ी चुनौती खड़ी कर दी है।
सीरिया पर अमरीका और यूरोपीय देशों ने कड़े प्रतिबंध लगा रखे हैं, जिसके कारण वहां अंतरराष्ट्रीय राहत पहुंचने में दिक्क़तें आ रही हैं।
सीरिया में ज़मीनी हालात ऐसे हैं कि लाखों लोग बर्फीली ठंड में बाहर टेंट लगाकर रहने को मजबूर हैं। जानकारों का कहना है कि इस वजह से पूरे इलाक़े में मानवीय त्रासदी और गहरा सकती है। हालात को देखते हुए संयुक्त राष्ट्र पर यहां तक किसी भी तरह से मदद पहुंचाने का दबाव बढ़ रहा है।