लेकिन अब स्थिति बदल गई है. पिछले दिनों रूस ने इस समझौते से अलग होने की घोषणा कर दी। अब चिंता ये जताई जा रही है कि पहले से ही अकाल का सामना कर रहे कई अफ़्रीकी देशों के लिए गंभीर खाद्य संकट पैदा हो सकता है।
कई अंतरराष्ट्रीय पर्यवेक्षक इस बात से हैरान हैं कि रूस ने ये फ़ैसला 27 और 28 जुलाई को सेंट पीटर्सबर्ग में होने वाले रूस-अफ़्रीकी शिखर सम्मेलन से पहले किया है। यह समझौता पिछले साल जुलाई में लागू होने के बाद से तीन बार रिन्यू किया जा चुका है।
इस समझौते के तहत यूक्रेन के ओदेसा,चोर्नामोस्क और यूज़नी/ पिवदनी बंदरगाहों से मालवाहक जहाज़ को काले सागर से गुज़रने की इजाज़त थी। कीनिया सरकार ने रूस की इस कार्रवाई को पीठ में छुरा घोंपने जैसा बताया और कहा कि इस फ़ैसले से अफ़्रीकी देशों पर बड़ा असर पड़ेगा।
अनाज व्यापार में आई अड़चनों के कारण पहले से ही अफ़्रीकी देशों पर खाद्य सुरक्षा को लेकर दबाव है। लाखों लोगों पर खाने की कमी और खाद्य पदार्थों की क़ीमतें बढ़ने का ख़तरा मँडरा रहा है।
इससे खाद्य सुरक्षा पर क्या पड़ेगा असर?
सोमालिया, कीनिया, इथियोपिया और दक्षिण सूडान जैसे देशों में पाँच करोड़ से ज़्यादा लोगों को खाद्य सुरक्षा सहायता की ज़रूरत है, क्योंकि इन देशों में वर्षों से ठीक से बारिश नहीं हुई है।
संयुक्त राष्ट्र के मुताबिक़ ये अनाज समझौता यूक्रेन को इन अफ़्रीक़ी देशों में मानवीय सहायता के तौर पर 6 लाख 25 हज़ार टन अनाज भेजने की अनुमति देता था।
विश्व व्यापार संगठन की महानिदेशक गोज़ी ओकोनज़ो इवेला कहती हैं, ''काला सागर के ज़रिए खाद्य पदार्थ, चारा और उर्वरक का व्यापार विश्व खाद्य क़ीमतों में स्थिरता के लिए ज़रूरी है। ये कहते हुए दुख हो रहा है कि इस फै़सले से सिर्फ़ ग़रीब लोग और ग़रीब देशों को नुक़सान उठाना पड़ रहा है।
संयुक्त राष्ट्र खाद्य एवं कृषि संगठन (एफ़एओ) के मुताबिक़ पिछले साल जुलाई से वैश्विक खाद्य क़ीमतों में 11.6 प्रतिशत की जो गिरावट देखी गई, उसमें इस समझौते का भी योगदान रहा है।
अदिस अबाबा विश्वविद्यालय में अर्थशास्त्र और पब्लिक पॉलिसी के प्रोफ़ेसर डॉक्टर कॉस्तोतीनोस कहते हैं, ''बाज़ार का ट्रेंड तुरंत बदल जाता है। जो नया है बाज़ार उसी के साथ जाता है। जैसे ही यह घोषणा हुई, अनाज व्यापारी अपनी क़ीमतें बढ़ा देंगे, देश निर्यात पर प्रतिबंध लगा देंगे और जमाखोरी बढ़ जाएगी।
डॉक्टर कॉस्तोतीनोस आगे कहते हैं, ''कई देशों को रूस से गेहूँ, वेजिटेबल ऑयल (वनस्पति तेल), उर्वरक आयात करने में परेशानी होने वाली है। साथ ही शरणार्थियों को और अफ़्रीका में विस्थापित लोगों पर भी संकट आने की संभावना है।