गुरुवार को एक अधिसूचना जारी कर इन आइटमों के आयात को तुरंत प्रभाव से प्रतिबंधित कर दिया गया था।
नई अधिसूचना में इन आइटमों के आयात के लिए लाइसेंस के लिए 31 अक्टूबर 2023 तक मोहलत दी गई है। विदेश व्यापार महानिदेशालय ने कहा है कि ये आदेश 1 नवंबर 2023 से लागू हो जाएगा।
दरअसल लैपटॉप,पर्सनल कंप्यूटर और टैबलेट समेत सात आइटमों के आयात को अचानक प्रतिबंधित कर देने के बाद उद्योग जगत में तीखी प्रतिक्रिया देखने को मिल रही है।
आईटी हार्डवेयर से जुड़े सभी स्टेकहोल्डर्स का कहना है कि सरकार ने अचानक अधिसूचना जारी कर दी जबकि दिवाली के दौरान इन आइटमों की भारी मांग देखी जाती है। ऐसे में कंपनियों का बिजनेस बुरी तरह प्रभावित होगा।
मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन फॉर इनफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी ने विदेश व्यापार महानिदेशालय को ई-मेल भेज कर लाइसेंसिंग के लिए मोहलत देने की मांग की थी।
सरकार की अधिसूचना से घबरा कर कई ऑरिजिनल इक्विपमेंट मैन्युफैक्चरर्स ऐपल, सैमसंग और एचपी ने तुरंत प्रभाव से लैपटॉप और टैबलेट का आयात रोक दिया था।
इंडस्ट्री के सूत्रों को कहना है कि शायद इस फैसले की चौतरफा आलोचना की वजह से सरकार ने फिलहाल आदेश पर अमल रोक दिया है।
विदेश व्यापार महानिदेशालय ने गुरुवार को एक अधिसूचना जारी कर इनके आयात पर प्रतिबंध लगाने का ऐलान किया था। इसमें कहा गया था कि कंपनियों को अब इसके लिए लाइसेंस की ज़रूरत पड़ेगी।
इस फैसले पर अमल फिलहाल भले ही रुक गया है। लेकिन इससे ऐपल, डेल, लेनोवो, हेवलेट पैकर्ड और सैमसंग जैसी कंपनियों के कारोबार पर भारी असर पड़ सकता है।
उन्हें अब लोकल मैन्युफैक्चरिंग को रफ़्तार देनी होगी ताकि भारत में अपने उत्पादों की मांग पूरी कर सकें। सरकार के इस कदम से घरेलू बाजार में इन आइटमों के दाम में भारी इजाफे की आशंका जताई जा रही है।
देश में पिछले तीन साल के दौरान (खास कर कोविड महामारी के दौरान) लैपटॉप, पर्सनल कंप्यूटर और टैबलेट जैसे आइटमों की मांग काफी बढ़ी है। लेकिन मांग बढ़ने के साथ ही इनके दाम भी बढ़े हैं।
विदेश व्यापार महानिदेशालय की ओर से जारी नोटिफिकेशन में इन आइटमों के आयात पर प्रतिबंधों की कोई वजह तो नहीं बताई गई थी।
लेकिन कहा जा रहा है कि सरकार फिलहाल सुरक्षा कारणों का हवाला देकर इन आइटमों के आयात को रोकना चाहती है। लैपटॉप, पर्सनल कंप्यूटर और टैबलेट समेत जिन सात आइटमों के आयात रोके गए हैं, उनका 58 फीसदी चीन से आता है।
वित्त वर्ष 2022-23 के दौरान भारत में इनका आयात 8.8 अरब डॉलर का था. इनमें से अकेले चीन की हिस्सेदारी 5.1 अरब डॉलर की थी।