India गठबंधन, आप और कांग्रेस में क्यों नहीं बन पा रही बात?
India गठबंधन को 2024 के इलेक्शन में भारत बनाम मोदी के तौर पर देखा जा रहा है। विपक्ष की लगभग सभी पार्टियां इस युद्ध में एक साथ दिखाई दे रही है, लेकिन दिल्ली चुनावों के लिए कांग्रेस के इस एलान ने दोनों पार्टियों को एक बार फिर आमने सामने ला दिया है
Table of Contents (Show / Hide)
![India गठबंधन, आप और कांग्रेस में क्यों नहीं बन पा रही बात?](https://cdn.gtn24.com/files/india/posts/2023-08/thumbs/31.webp)
दिल्ली में बुधवार को हुई कांग्रेस की बैठक के बाद एक नया राजनीतिक विवाद खड़ा हो गया। कांग्रेस के बड़े नेता साल 2024 के लोकसभा चुनावों के लिए हर राज्य के नेताओं के साथ बैठक कर रहे हैं।
इसी सिलसिले में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, सांसद राहुल गांधी, पार्टी महासचिव केसी वेणुगोपाल और दिल्ली प्रदेश कांग्रेस के प्रभारी दीपक बाबरिया समेत दिल्ली के कई कांग्रेस नेताओं की बुधवार को बैठक हुई।
बैठक के बाद कांग्रेस नेता अलका लांबा ने मीडिया से बातचीत में कहा कि पार्टी नेताओं को राज्य में संगठन को मज़बूत बनाने को कहा गया है और कांग्रेस को दिल्ली की सातों लोकसभा सीटों पर चुनाव की तैयारी रखनी है।
एक सवाल के जवाब में अलका लांबा ने यह भी कहा कि “इसपर अभी कोई फ़ैसला नहीं हुआ है कि हम दो सीट पर लड़ेंगे या चार सीट पर लड़ेंगे और बाक़ी पर कोई काम नहीं करेंगे।”
अलका लांबा ने यह भी कहा कि कांग्रेस साल 2019 के लोकसभा चुनाव में दिल्ली की सभी सातों सीटों पर दूसरे नंबर पर थी। इस बयान के बाद आम आदमी पार्टी के कई नेता भड़क गए और विपक्षी गठबंधन से हटने तक की बात कह दी।
क्यों भड़की आम आदमी पार्टी
आप नेता दिलीप पांडे ने कहा कि अगर आने वाले लोकसभा चुनावों में कांग्रेस पार्टी की इच्छा दिल्ली में कोई गठबंधन करने की नहीं है तो मुझे लगता है कि जो कथित गठबंधन लोकतंत्र और संविधान को बचाने के नाम पर बनाया गया है, उसका हिस्सा होने का हमारा कोई मतलब नहीं है।
वहीं सौरभ भारद्वाज ने कहा है कि छोटे-छोटे नेताओं के बयान का कोई मतलब नहीं है यह विपक्षी गंठबंधन इंडिया की बैठक में तय होगा।
आप नेताओं की तीख़ी प्रतिक्रिया के बाद कांग्रेस ने अलका लांबा के बयान पर फ़ौरन सफ़ाई दी। दिल्ली प्रदेश के कांग्रेस प्रभारी दीपक बाबरिया ने कहा कि अलका लांबा इस तरह के बयान देने के लिए अधिकृत नहीं हैं।
उनका कहना है, “आम आदमी पार्टी की समझ पर मैं क्या कहूं यह समझ में नहीं आ रहा है। आम आदमी पार्टी को समझ में आना चाहिए मीडिया पूरा का पूरा भारतीय जनता पार्टी की मदद करना चाहता है, आपको उकसाना चाहता है।”
दीपक बाबरिया के मुताबिक़ मीटिंग में गठबंधन के बारे में कोई चर्चा नहीं हुई है, मीडिया बीजेपी की मदद करता है और अगर किसी ने ऐसी ख़बर दी है तो मैं उसका खंडन करता हूं।
कांग्रेस का डर
अलका लांबा कांग्रेस छोड़कर ही आम आदमी पार्टी में शामिल हुई थीं और बाद में फिर से कांग्रेस में शामिल हो गई। उसके बाद से ही अलका लांबा और आप नेताओं की बीच तल्ख़ी बरक़रार है।
दरअसल दिल्ली में कांग्रेस के कई नेता लगातार केजरीवाल का विरोध करते रहे हैं। भले ही आप विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ का हिस्सा हो पर दिल्ली के कांग्रेस नेता केजरीवाल के ख़िलाफ़ लगातार बयान देते रहे हैं।
इसी महीने कांग्रेस हाई कमान ने राज्यसभा में दिल्ली सर्विस बिल पर आप सरकार का समर्थन किया था। इसके बदले केजरीवाल ने कांग्रेस का धन्यवाद भी किया था, लेकिन पूर्वी दिल्ली से कांग्रेस के सांसद रहे संदीप दीक्षित ने केजरीवाल को बेहतर काम करने की नसीहत दी थी।
INDIA का भविष्य
आप ने न केवल दिल्ली और पंजाब में बल्कि गुजरात में भी कांग्रेस को बड़ा नुक़सान पहुंचाया है। साल 2017 के विधानसभा चुनावों में कांग्रेस को राज्य में क़रीब 43 फ़ीसद वोट और 77 सीटें मिली थीं।
जबकि पिछले साल हुए विधानसभा चुनावों में कांग्रेस को महज़ 28 फ़ीसद वोट और 17 सीटें ही मिलीं थीं। उन चुनावों में आप को क़रीब 13 फ़ीसद वोट के साथ 5 सीटें मिली थीं।
रशीद किदवई मानते हैं, “सीधा समीकरण है कि दिल्ली, पंजाब और गुजरात की 46 सीटों में अगर आम आदमी पार्टी और कांग्रेस एक होकर न लड़े हो सकता है कि उनको केवल पंजाब की 5-6 सीटों पर जीत मिले।”
उनके मुताबिक़ अगर दोनों पार्टियों के बीच तालमेल हो जाता है तो पंजाब कि 13 सीटें और दिल्ली की 7 सीटों में से कम से कम 10-12 सीटों में उनकी मज़बूत दावेदारी होगी। इसके अलावा उनकी गुजरात में भी एकाध सीट निकलने की संभावना है।
सोर्सः बीबीसी