दूतावास ने तीन पन्नों के अपने बयान में इस फ़ैसले की तीन वजहें बताईं- पहली- भारत सरकार से समर्थन न मिलना, दूसरी- अफ़ग़ानिस्तान के हितों की रक्षा से जुड़ी उम्मीदों पर खरा नहीं उतर पाना और तीसरी- कर्मचारियों की संख्या और संसाधनों में कमी।
रिपोर्टों में कहा गया था कि दूतावास में काम करने वाले भारतीय कर्मचारियों को बिना नोटिस दिए नौकरी से निकाल दिया गया है और कई राजनयिकों ने पश्चिमी मुल्कों में शरण लेने के लिए भारत छोड़ दिया है।
फ़िलहाल भारतीय विदेश मंत्रालय की तरफ़ से कोई आधिकारिक बयान जारी नहीं किया गया है। अफ़ग़ानिस्तान और भारत के बीच ऐतिहासिक संबंधों और लंबे वक़्त रहे रिश्तों को देखते हुए बेहद सोच समझ कर ये फ़ैसला लिया गया है।"
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दूतावास ने अपने बयान में कहा है कि तीन मुख्य कारणों से ये फ़ैसला लिया गया है। दूतावास ने कहा, "पहला, मेज़बान मुल्क की तरफ से हमें कोई ख़ास मदद नहीं मिल रही है, जिस कारण हम अपना काम कारगर तरीके से नहीं कर पा रहे हैं।"
"दूसरा, हम ये मानते हैं कि भारत की तरफ से कूटनीतिक सहयोग न मिल पाने और अफ़ग़ानिस्तान में एक वैध सरकार न होने के कारण हम अफ़ग़ानिस्तान या अफ़ग़ान नागरिकों की ज़रूरतों और हितों को पूरा नहीं कर पा रहे हैं।"
"तीसरा, कर्मचारियों की संख्या और संसाधनों में कमी के कारण हमारे लिए काम जारी रखना बड़ी चुनौती बन गया है। राजनयिकों के वीज़ा रीन्यूअल से लेकर दूसरे कामकाज में हमें वक्त पर ज़रूरी मदद नहीं मिल रही, जिस कारण टीम के भीतर परेशानी बढ़ रही है और इसका असर कारगर तरीके से काम करने पर पड़ रहा है।"