अयोध्या में निर्माणाधीन राम मंदिर के परिसर के पास ही एक छोटी-सी मस्जिद है जिसका नाम 'बद्र मस्जिद' है। सरकारी भूलेख में इसका प्लॉट नंबर 609 है।
एग्रीमेंट में लिखा है कि यह एग्रीमेंट बद्र मस्जिद के 'मुतवल्ली' रईस अहमद और राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र के महासचिव चंपत राय के बीच हुआ है। जो इस एग्रीमेंट के मुताबिक़ बद्र मस्जिद के मुतवल्ली है।
क्या कहता है एग्रीमेंट
एग्रीमेंट के मुताबिक़, "भूमि संख्या 609 में यह मस्जिद थी। इसका 45 वर्ग मीटर हिस्सा राम पथ के विस्तार के लिए लिया जा चुका है।
मस्जिद को स्थानांतरित करने के कारणों के बारे में एग्रीमेंट लिखा है, "मस्जिद पुरानी होने और उसके जीर्णोद्धार के लिए आवश्यक धन की व्यवस्था न हो पाने के कारण जीर्ण-शीर्ण स्थिति में पहुँच रही है।
एग्रीमेंट कहता है, "अयोध्या में राम जन्मभूमि मंदिर के निर्माण की वजह से तीर्थ यात्रियों की संख्या में बहुत वृद्धि हो चुकी है, जिसकी वजह से आवागमन बाधित रहता है। मस्जिद में आने वाले नमाज़ियों को परेशानी और असुविधा होती है। मस्जिद अयोध्या रेलवे स्टेशन और क्षीरेश्वर नाथ मंदिर के पास है, और इस वजह से सुरक्षा के नाम पर पाबंदियां भी लगा दी जाती है।
इस एग्रीमेंट में मस्जिद को स्थानांतरित करने के लिए नमाज़ियों से सहमति के बारे में लिखा है, "मुतवल्ली रईस अहमद ने वक्फ बोर्ड के ज़िम्मेदार अधिकारियों और मस्जिद में आने वाले स्थानीय मुसलमानों से विचार-विमर्श करके सर्वसम्मति से यह तय पाया कि मस्जिद को किसी उचित स्थान पर स्थानांतरित कर दिया जाए, और बद्र नाम से नई मस्जिद बना दी जाए ताकि मस्जिद में आने वाले नमाज़ियों को कोई असुविधा या ज़लालत महसूस ना हो।
एग्रीमेंट में लिखा है कि चम्पत राय "राम जन्भूमि तीर्थ क्षेत्र की ज़रूरतों के लिए मस्जिद बद्र की ज़मीन को खरीदने के लिए इच्छुक हैं और उन्होंने इस सम्बन्ध में बहुत ही सौहार्द्रपूर्ण वातावरण में आस-पड़ोस के ज़िम्मेदार मुस्लिम धर्म के लोगों से बात की है, जिससे भविष्य में किसी प्रकार के सांप्रदायिक विवाद की आशंका ना रह जाए।
एग्रीमेंट कहता है कि रईस अहमद ने, "30 लाख रुपए में मस्जिद बद्र को स्थानांतरित करने का करार किया है।"
इसमें यह भी लिखा हैं कि, "क्योंकि ज़मीन वक़्फ़ संपत्ति है और सुन्नी सेंट्रल वक़्फ़ बोर्ड के रजिस्टर में वक़्फ़ संपत्ति के रूप में अंकित है, इस कारण वक़्फ़ बोर्ड की अनुमति लेना ज़रूरी है।
एग्रीमेंट में मस्जिद को स्थानांतरित करने के लिए छह महीने की समय-सीमा रखी गई है और रईस अहमद हो 15 लाख रुपये एडवांस दिए गए हैं। एग्रीमेंट के हिसाब से रईस को छह महीने में मस्जिद को शिफ्ट करके सेल डीड को मंदिर ट्रस्ट के पक्ष में जारी करना होगा और ज़मीन का कब्ज़ा दिलाना होगा।