वह यहूदी जो इसराइल का विरोध और फलिस्तीन का समर्थन करते हैं
इसराइल के एक यहूदी राष्ट्र के तौर पर जाना जाता है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि दुनिया के बहुत से यहूदी इसराइल को विरोध करते हुए उसको यहूदियों का प्रतिनिधि नहीं मानते हैं।
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![वह यहूदी जो इसराइल का विरोध और फलिस्तीन का समर्थन करते हैं](https://cdn.gtn24.com/files/india/posts/2023-11/thumbs/1700240002.webp)
इसराइल का जन्म यहूदियों के अपने अलग राष्ट्र की अवधारणा से हुआ था।
यहूदियों के अस्तित्व और अधिकारों की पृष्ठभूमि में इसराइल का जन्म होने के बावजूद ऐसे बहुत से यहूदी हैं जो इसराइल का समर्थन नहीं करते।
कई लोग मानते हैं कि इसराइल सरकार अपने आलोचकों को 'यहूदी-विरोधी' या 'एंटी-सेमिटिक' के तौर पर पेश करना चाहती है। हालांकि राष्ट्र के विचार का विरोध और यहूदी धर्म के प्रति विद्वेष एक बात नहीं है।
'ज़ायोनी शासन' या यहूदी राष्ट्र की धारणा पर विश्वास करने वाले ऐसे यहूदी भी हैं जो सरकार के हस्तक्षेप की नीति को पसंद नही करते।
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यहूदियों में इसराइल का विरोध करने वाली विचारधारा के कई लोग हैं। इनमें वामपंथियों के अलावा कट्टर यहूदी विचारधारा को मानने वाले लोग भी हैं।
मिसाल के तौर पर इसराइल-ग़ज़ा के बीच जारी युद्ध की पृष्ठभूमि में 18 अक्तूबर को हजारों यहूदियों ने अमेरिका में कैपिटल हिल के सामने फलस्तीनियों के उत्पीड़न के विरोध में प्रदर्शन किया।
वहां हाथों में फलस्तीनी झंडे लेकर कुछ लोगों ने आरोप लगाया कि इसराइल ग़ज़ा में सामूहिक हत्याएं कर रहा है। उस दिन अमेरिकी पुलिस ने वहां कम से कम तीन सौ लोगों को गिरफ्तार किया था।
उस आंदोलन का नेतृत्व 'ज्यूइश वॉयस फॉर पीस' या 'शांति के लिए यहूदी आवाज़' नामक एक 'ज़ायनवादी' संगठन ने किया था।
जिस तरह से 'ज़ायोनी शसान' ने फलस्तीन के लोगों को नुकसान पहुँचाया है, वे उसके ख़िलाफ़ हैं। संगठन की वेबसाइट पर इस बात का जिक्र किया गया है कि 'ज़ायोनी शासन' असल में यहूदियों में नफ़रत और वैमनस्य पैदा करता है।
'ज़ायोनी शासन' के विरोधी हिंसा-विद्वेष और आक्रामकता के ख़िलाफ़ हैं। वे लोग फलस्तीन की ज़मीन पर इसराइल की सरकार के कब्ज़े को भी अच्छा नहीं मानते।
उनका मानना है कि 'ज़ायनवाद' की धारणा एक ऐसी परिस्थिति पैदा करती है जिससे लगता है कि जो लोग इसराइल की आलोचना करते हैं वो 'यहूदी-विरोधी' हैं। हालांकि यहूदियों में इसराइल के प्रति समर्थन ही ज़्यादा है।
वामपंथियों के अलावा अति कट्टर यहूदी भी इसराइल राष्ट्र की धारणा से सहमत नहीं हैं। इसमें खासकर 'हरेदी समूह' शामिल हैं जो यहूदी धर्म के रीति-रिवाजों का सख़्ती से पालन करते हैं।
फलस्तीनियों के पक्ष में प्रदर्शन
कट्टर यहूदियों के एक तबके ने भले ही कुछ हद तक सामाजिक आधुनिकता को अपना लिया हो, कट्टर यहूदी अपने प्राचीन धर्म का पालन करते हैं।
नेतुरेई कार्टा ऐसा ही एक अति-कट्टर और ज़ायनवाद-विरोधी संगठन है. वर्ष 1938 में गठित यह संगठन अमेरिका में काफी मजबूत है। यह जर्मनी, ब्रिटेन और इसराइल में भी सक्रिय है।
इस संगठन के फेसबुक पेज को देखने से पता चलता है कि यह इसराइल के हमले के ख़िलाफ़ और फलस्तीनियों के पक्ष में रोजाना प्रदर्शन कर रहा है।
उनके हाथों में फलस्तीनी झंडे हैं और इसराइल के झंडे के पोस्टर को लाल स्याही से क्रॉस कर दिया गया है।
10 नवंबर को न्यूयॉर्क से पोस्ट एक वीडियो में उनके एक रब्बी (पुजारी) को भाषण देते देखा जा सकता है।
इसराइल के डेविड वाइस नामक वह रब्बी कहते हैं कि फलस्तीन में यहूदी और मुस्लिम शांति के साथ रहते थे। लेकिन ज़ायनवाद इसमें बाधा बन कर उभरा है।
उन्होंने आरोप लगाया है कि ज़ायनवादी अपने राजनीतिक हित के लिए यहूदियों के धर्म का दुरुपयोग कर रहे हैं और नफ़रत फैला रहे हैं।