संयुक्त राज्य अमेरिका और पश्चिम के असीमित समर्थन के साथ गाजा पट्टी में फिलिस्तीनियों के खिलाफ इजरायली सेना द्वारा शुरू किए गए क्रूर युद्ध के बीच यह सवाल दृढ़ता से उठाया गया है।
ये समूह कहां छिप गए? अब उनकी आवाजें नहीं उठेंगी तो कब सुनी जाएंगी?
इस सवाल के जवाब में इस्लामिक समूहों के विशेषज्ञ डॉ. कमाल हबीब कहते हैं: ISIS, अल-नुसरा, अल-कायदा आदि जैसे तकफ़ीरी समूहों के पास अपने स्वयं के कार्यक्रम हैं, जैसे उनके पास अपने स्वयं के नेता और प्रबंधक हैं। फिलिस्तीन का मुद्दा और अक-अक्सा मस्जिद कभी भी इन संगठनों के केंद्रीय मामलों में नहीं रहा है, न ही उन मामलों और मुद्दों को देखता है जिन पर इस्लामी दुनिया सहमत है। "
ये समूह इस्लामी दुनिया के विकास और उत्थान के लिए नहीं, बल्कि इस्लामी उम्माह का मुकाबला करने के लिए काम करते हैं और इस्लामी सभ्यता और समाज का विनाश ही उनकी योजना है। जब भी इस्लामी किसी तरफ़ देखती है और किसी मुद्दे पर एकमत होती है, तो वे अपना चेहरा दूसरी तरफ कर लेते हैं।
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इसीलिए हम इस अमानवीय युद्ध में उनकी उपस्थिति नहीं देखते हैं। वह न केवल व्यवहारिक स्तर पर इजरायल के विरुद्ध कोई कार्य नहीं करते हैं बल्कि उन्होंने अब तक ज़ायोनी शासन की निंदा में कोई बयान भी नहीं दिया है।"
यही कारण है कि एक बार फिर यह कहा जा रहा है कि यह संगठन इस्लामी न होकर इजरायली हैं, क्योंकि यह इस्लामी दुनिया के विरुद्ध तो कार्य करते हैं लेकिन इस्लाम के सबसे बड़े शत्रु इजरायल के विरुद्ध न तो उन्होने अतीत में कोई कार्य किया है और न अब कुछ कर रहे हैं।
वह बताते हैं कि ये समूह सक्रिय और घुसपैठ करने वाले हैं और ज्यादातर अमेरिकियों और पश्चिमी खुफिया विभाग द्वारा बनाए गए हैं, वे प्रतिरोध और प्रतिरोध सेनानियों को असली मुजाहिदीन नहीं मानते हैं।
ये तकफ़ीरी समूह हैं जिन्होंने इस्लामी दुनिया की शक्ति और एकता को बर्बाद कर दिया है। उन्होंने कभी भी इस्लामी उम्माह के उत्थान के लिए कोई कार्य नहीं किया और न ही वह कभी मुसलमानों की पीड़ा के समय उनके साथ खड़े हुए। और व ही वह इस युद्ध में गाजा वासियों के साथ खड़े हैं।
इन समूहों की भूमिका के बारे में यह कहा जाना चाहिए कि वे इस्लामी दुनिया और इस्लामी उम्माह पर हमला करने और उन्हें निशाना बनाने में लगे हुए हैं।
इस महत्वपूर्ण क्षण में इन समूहों की चुप्पी से पता चलता है कि ये वे समूह हैं जो अमेरिका और यूरोपीय देशों में चरम पश्चिमी दक्षिणपंथ के उद्भव की छाया में, इस्लामी दुनिया को कमजोर करने और इस्लाम की छवि को विकृत करने के लिए आवश्यक होने पर बनाए गए हैं।
गाजा युद्ध ने इन संगठनों के इस्लामी होने के दावों को एक बार फिर गलत साबित करते हुए पूरी दुनिया के सामने स्पष्ट कर दिया है कि यह संगठन इराक़ और सीरिया जैसे देशों में मुसलमानों की हत्या करने के लिए तो अल्लाहू अकबर के नारे लगा सकते हैं लेकिन जब मुसलमानों की रक्षा की बात आती है तो यह वैसे ही अपने बिलों में छिप जाते हैं जैसे डरा हुआ चूहा।