बूचा मे यूक्रेनी नागरिकों का जनसंहार करने वाला रूस या यूक्रेन? फिलिस्तीनी स्ट्रेटीजी का इस्तेमाल
रूस की एक प्रमुख और रणनीतिक साइट ने खुलासा किया है कि यूक्रेन में नागरिकों के नरसंहार की भयानक तस्वीरें निस्संदेह दिखाती हैं कि यह एक जघन्य अपराध है, जिसके अपराधियों की पहचान की जानी चाहिए और उन पर मुकदमा चलाया जाना चाहिए। और सजा होनी चाहिए।
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युद्ध के मैदान में प्रगति से पता चलता है कि संघर्ष के पक्ष यह सुनिश्चित करने के लिए कड़ी मेहनत कर रहे हैं कि संकट में नागरिकों को नुकसान न पहुंचे, और रूस और यूक्रेन के बीच अब तक हुई सभी बातचीत में नागरिकों को सुरक्षित क्षेत्रों में स्थानांतरित करना प्राथमिकता रहा है। और अब तक के हालात को देखकर पता चलता है कि कमोबेश दोनों पक्षों ने नागरिकों की सुरक्षा को सुनिश्चित किया है और किसी भी प्रकार की कमी को दूसरे पक्ष पर मढ़ने की कोशिश की है। लेकिन बूचा में नागरिकों के नरसंहार की दुखद घटना में ऐसा लगता है यह दोनों पक्षों के बीच जारी समझौते से बार एक परिदृश्य है जो घटित हुआ है।
संघर्ष की शुरुआत से, ज़ेलेंस्की ने रूस को आक्रोशित और उत्तेजित करने की अपनी गल्तियों को स्वीकार किए बिना अपने एक्टिग जीवन के अनुवभों का प्रयोग करते हुए स्वंय को पीड़ित पक्ष दिखाते हुए मार्किम अंदाज़ में पश्चिम से सैन्य समर्थन की अपील कर रहे हैं। पश्चिम देश भी उनके लिए अपने पुराने और एक्सापयर हो चुके सैन्य उपकरण भेज रहे हैं। हालांकि इस मामले में ब्रिटेन एक अपवाद है जो कीव को अपने नवीनतम सैन्य उपकरण भेजता है !!
लेकिन जब ज़ेलेंस्की ने इजरायल केसेट को एक संदेश भेजा, तो उसने उनसे मदद की भीख नहीं मांगी, बल्कि कहा कि एक यहूदी के रूप में उनको इज़राइल से विशेष मदद की उम्मीद है और उनकी मदद की जानी चाहिए।
यह स्पष्ट है कि पश्चिम द्वारा भेजे गए उपकरण और, स्वंय ज़ेलेंस्की के अनुसार, धातु के हेलमेट और ब्रांडों अब तक पूरी तरह से विघटित हो चुकी यूक्रेनी सेना पर महत्वपूर्ण प्रभाव नहीं डाल सके है। लेकिन ज़ेलेंस्की के समर्थकों की तरफ़ से जारी मनोवैज्ञानिक युद्ध ने उनकी बहुत सहायता की है और यूक्रेन में रूसी राजनीतिक की एक अंधकारमयी तस्वीर पेश की है।
यूक्रेन में फिलिस्तीनी स्ट्रैटेजी का इस्तेमाल
इज़राइल की स्थापना की शुरुआत में सबरा और शतीला पर हमले की योजना बनाने वाले प्रमुख कमांडरों में से एक एरियल शेरोन ने इजरायल के विशेष कमांडो को यह आदेश दिया था कि फिलिस्तीनियों के विरुद्ध ऐसा मनौवैज्ञानिक माहौल तैयार करें कि जब भी कोई फिलिस्तीनी फिलिस्तीन के किसी भी भाग में सबरा और शतीला का नाम सुने तो फिलिस्तीन छोडकर भाग खड़ा हो।
उस ज़माने में उनको अपनी इस भयानक हिसा और नरसंहार के प्रभावों का अच्छी तरह ज्ञान था। और इस नरसंहार के प्रचार के बाद लाखों फिलिस्तीनी अपने घरों को छोड़कर भाग गए। एक ऐतिहासिक स्रोत से पता चलता है कि सैकड़ों फिलिस्तीनी लाशों को पानी के कुओं में डाले जाने के कारण महीनों तक वहां के कुओं का पानी का उपयोग नहीं किया जा सकता था। यहां तक कि कहा जाने लगा था कि एक गिलास पानी के साथ एक गिलास खून कुओं से निकलता था।
आज, हर दर्शक बोचा के मार्मिक और चौंकाने वाले दृश्यों को देखकर, अपनी उथली सोंच के अनुसार इस अपराध के लिए रूस और पुतिन को दोषी ठहराते हैं। यही वही माहौला है जो ज़ेलेंस्की अपने माहिराना और जादूगराना अंदाज़ में दूसरे देशों की संसदों के लिए दिए गए संदेश के लिए चाहते थे।
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यह सच है कि ऐसा कोई कारण नहीं कि पुतिन ने ऐसा जघन्य अपराध करने का आदेश दिया हो। क्योंकि इसके कारण उन्हें अंतरराष्ट्रीय निंदा का सामना करना पड़ सकता था, जिसकी कोई आवश्यकता नहीं थी। जब कि अमेरिका के राष्ट्रपति बिडेन और यूनाइटेड किंगडम के बोरिस जॉनसन के दावों के विपरीत, पुतिन यूक्रेनी लोगों के प्रति सहिष्णु होने की कोशिश कर रहे हैं और हमेशा उन्हें अपना हमवतन कहते रहे हैं।
इसलिए, रूसी सैनिक अपने यूक्रेनी हमवतनों जिनके साथ उनको हमेशा रहना है और निकट भविष्य में उनके साथ काफी पीनी है के साथ इतना क्रूर होने और अमानवीय बर्ताव क्यों करेंगे? दूसरी ओर, यह स्वीकार करना भी अनुचित होगा कि यूक्रेन में चरमपंथी नाजियों ने रूस पर दबाव बनाने के लिए अपने हमवतन लोगों की बेरहमी से हत्या कर दी है।
यह अपराध किसी तीसरे पक्ष द्वारा किया गया हो सकता है जो इस समुदाय से संबंधित नहीं है। जिसके पास इस तरह के नरसंहार के लिए इसके पास एक प्रशिक्षित और शैतानी बल है। और दूसरी ओर, उन्होंने ऐसे दृश्यों का मीठा स्वाद भी चख रखा है। राजकीय आतंकवाद पर आधारित यह अपराध ज़ेलेंस्की को उसके वर्तमान गतिरोध और आत्महत्या की स्थिति से मुक्त करने और मनोवैज्ञानिक युद्ध में रूस को हराने में सफल हो सकता था।