पीएम मोदी ने कहा, आज समस्या ये है कि हम कर्तव्यों का पालन नहीं करते हैं, इसलिए अधिकार के लिए उसको लड़ना पड़ता है। हमारे देश में किसी को अपने अधिकारों के लिए लड़ना न पड़े ये हमारा कर्तव्य है और उसका उपाय भी हमारा कर्तव्यों का पालन है। उसका एक साधारण सा मार्ग है कर्तव्य पर बल देना। अगर मैं अपने कर्तव्यों का पालन करता हूं, तो मतलब है कि मैं किसी के अधिकार की रक्षा करता हूं। फिर उसको कभी अधिकार की मांग के लिए निकलना ही नहीं पड़ेगा।
विद्यार्थियों को सफलता का मंत्र देते हुए पीएम ने कहाः परीक्षा जीवन का सहज हिस्सा है। ये हमारी विकास यात्रा के छोटे-छोटे पड़ाव हैं। आप इस पड़ाव से पहले भी गुजरे हैं। पहले भी हम कई बार परीक्षा दे चुके हैं। आपके ये अनुभव आने वाली परीक्षाओं के लिए आपकी ताकत बन जाते हैं। अपने मन में किसी तरह का Panic न होने दें।
पीएम मोदी ने कहा, आज हर परिवार के लिए बेटी बहुत बड़ी शक्ति बन गई हैं। ये बदलाव बहुत अच्छा है। ये बदलाव जितना ज्यादा होगा, उतना लाभ होगा। आज खेलकूल में भारत की बेटियां हर जगह पर अपना नाम रोशन कर रही हैं। विज्ञान के क्षेत्र में हमारी बेटियों का आज पराक्रम दिखता है। 10वीं, 12वीं में भी पास होने वालों में बेटियों की संख्या ज्यादा होती हैं।
कार्यक्रम में महिलाओं के मुद्दे पर बोलते हुए प्रधानमंत्री ने कहाः समाज बेटियों के सामर्थ्य को जानने में अगर पीछे रह गया, तो वो कभी आगे नहीं बढ़ सकता। मैंने कई बेटियां देखी हैं, जिन्होंने मां-बाप के सुख और उनकी सेवा के लिए शादी तक नहीं की और अपनी जिंदगी खपा दी। समाज में बेटा-बेटी एक समान होने चाहिए।
गुजरात की पंचायती राज व्यवस्था में कानूनन व्यवस्था है कि 50% इलेक्टेड बहनें होंगी। लेकिन चुनाव के बाद स्थिति ये बनती है कि चुनी हुई महिलाओं की संख्या 55% तक पहुंच जाती हैं और पुरुष 45% पर आ जाते हैं।
उन्होंने स्वछता के मुद्दे पर बोलते हुए कहाः स्वच्छता की मेरी भावनाओं को चार चांद लगाने का काम मेरे देश के बालक-बालिकाओं ने किया है। स्वच्छता की इस यात्रा में आज हम जहां पहुंचे हैं, उसका सबसे ज्यादा क्रेडिट में बालक-बालिकाओं को देता हूं। ऐसे कई बच्चे हैं, जिन्होंने कई बार अपने परिजनों को इधर-उधर कूड़ा फैंकने पर टोका है।