जनवरी में ही 101 कंपनियों से 25000 नौकरियां गायब
भारत की स्टार्टअप कंपनियों में भी पिछले साल की तरह इस साल भी छंटनी की प्रकिया शुरू हो गई है। देसी स्टार्टअप कंपनियों ने भी पिछले साल 20 हजार लोगों को काम से बाहर किया। अब शेयरचैट ने 20% कर्मियों को बाहर करने की घोषणा कर दी है।
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![जनवरी में ही 101 कंपनियों से 25000 नौकरियां गायब](https://cdn.gtn24.com/files/india/posts/2023-01/thumbs/jobb.webp)
2022 की तरह ही 2023 में भी वैश्विक स्तर पर कंपनियां मंदी की आहट से सहमी हुईं हैं। साल के पहले ही महीने में अमेजन, ट्विटर, ओला और डुंजो जैसी दिग्गज कंपनियां बड़े पैमाने पर छंटनी का एलान कर चुकी हैं। टेक कंपनियां कोरोना संकट के बाद 2022 में राजस्व में कमी और मंदी की आहट से सहमी दिखी। नतीजा यह हुआ कि अमेजन, ट्विटर, मेटा, एपल और गूगल जैसी दिग्गज कंपनियाें ने भी अपना खर्चा घटाने के लिए छंटनी का सहारा लेना बेहतर समझा। जैसे-तैसे 2022 तो बीत गया पर अब नए साल में भी हालात कुछ बेहतर होते नहीं दिख रहे। मंदी की चिंता में बाजार में अस्थिरता है। साल शुरू होते ही कंपनियों ने छंटनी की घोषणा शुरू कर दी है।
जनवरी की शुरुआत में ही गईं 25 हजार नौकरियां
अमेजन ने पहले ही बड़ी संख्या में लोगों को नौकरी से हटाने की घोषणा कर दी है। ट्विटर भी अलग-अलग फेज में लोगों को बाहर का रास्ता दिखा रही है। यहां तक की भारतीय कंपनियों ओला, डुंजो और शेयरचैट भी खर्चा घटाने के लिए सैकड़ाें कर्मचारियों को नौकरी से निकाल चुके हैं। Layoffs.fyi नामक वेबसाइट के ताजा आंकड़ों के मुताबिक पूरी दुनिया में 2023 के जनवरी महीने के पहले पखवारे में ही 101 टेक कंपनियां 25436 कर्मचारियों को नौकरी से निकाल चुकी हैं।
2022 में भारतीय स्टार्टअप्स ने लगभग 20 हजार लोगों को काम से निकाला
भारत की स्टार्टअप कंपनियों में भी पिछले साल की तरह इस साल भी छंटनी की प्रकिया शुरू हो गई है। देसी स्टार्टअप कंपनियों ने भी पिछले साल 20 हजार लोगों को काम से बाहर किया। छंटनी करने वाली भारतीय कंपनियों की लिस्ट में बायजू, ओला, ओयो, मीशो, अनअकेडमी और वेदांतु समेत लगभग सभी दिग्गज स्टार्टअप शामिल रहे। सोमवार (16 जनवरी) को देसी स्टार्टअप शेयरचैट ने भी अपने 20% कर्मचारियो को नौकरी से निकालते हुए कहा कि यह दुखद फैसला है। माना जा रहा है कि इस छंटनी में कम से कम 500 लोगों की नौकरियां जाएंगी।
महामारी के दौरान बिना सोचे-समझे की गई हायरिंग से आई छंटनी की नौबत
ये सभी कंपनियां छंटनी का कारण बाजार के बिगड़ते हालात को बता रही हैं। दरअसल हुआ ये कि कोरोना महामारी के दौरान लगे लॉकडाउन के कारण ऑनलाइन सेवाओं के प्रति लोगों का रुझान बढ़ा। लोगों को बेहतर सुविधाएं मुहैया कराने के लिए स्टार्टअप कंपनियों में बड़े पैमाने पर बहाली की। बड़ी संख्या में लोगों को घर बैठे-बैठे ही हायर कर लिया गया और वर्क फ्रॉम होम के तहत वे काम भी करने लगे। कोविड संकट के बाद बाजार खुलने के बाद 2022 में हालात बदलने लगे। बाजार खुले तो लोग खरीदारी के लिए बाहर निकलने लगे। इससे कंपनियों का सेल्स ग्राफ गिरने लगा। हायर किए गए कर्मियों का काम तो घटने लगा पर उनकी तनख्वाह का प्रेशर कंपनियों पर बढ़ गया। नतीजतन ऐसी स्थिति बन गई जिससे कंपनियों के पास खर्चा घटाने के लिए छंटनी का ही सहारा बचा।
2022 में भारतीय स्टार्टअप्स को मिलने वाली फंडिंग में भी बड़ी गिरावट
पीडब्ल्यूसी स्टार्टअप डील ट्रेकर के अनुसार देसी स्टार्टअप्स में छंटनी का एक बड़ा कारण फंडिंग का सूखा भी रहा। 2022 में भारतीय कंपनियों को 24 बिलियन डॉलर की फंडिंग हासिल हुई। यह 2021 में हासिल फंडिंग का महज 33% है। जानकारों का मानना है कि पिछले साल जब स्टार्टअप्स को मनमाफिक फंडिंग मिली उन्होंने बिना उचित बिजनेस मॉडल के बड़ी संख्या में हायरिंग कर लीं। अब जब बिजनेस अनुमान के मुताबिक नहीं रहा तो कंपनियों के संस्थापक लोअर वैल्युएशन के डर से छंटनी का कदम उठाने लगे हैं। हालांकि कुछ आर्थिक जानकार मानते हैं कि ऐसा करने की बजाय कंपनियों को अपने बिजनेस मॉडल की खामियों को दूर करने पर काम करना चाहिए।