उत्तर भारत में ये आम का पीक सीज़न है. लेकिन इस बार बाज़ारों में जो आम पहुंच रहे हैं उनका स्वाद, खुशबू और रंग पिछले साल के मुकाबले फीका है।
'द हिंदू' में इस सीजन में आ रहे आम की घटिया क्वालिटी पर छपी रिपोर्ट में उत्तर प्रदेश के एक आम किसान के हवाले से बताया है कि इस बार आम की पैदावार में कमी आई है।
पिछले साल के मुकाबले इस बार पैदावार लगभग 40 फीसदी गिर गई है।
यूपी में शामली के पूर्व विधायक और आम किसान वारिस राव ने 'द हिंदू' को बताया कि पिछले साल औसत पैदावार थी लेकिन दाम अच्छे मिले थे. लेकिन इस बार पैदावार भी कम है और फसल के दाम भी कम मिल रहे हैं।
उन्होंने कहा कि पिछले साल एक किलो आम 35 से 40 रुपये में बिक रहा था. लेकिन इस साल 25 से 30 रुपये ही मिल रहे हैं।
फिलहाल वो चौसा से इसकी भरपाई की उम्मीद लगाए हुए हैं जो इस सीजन में बाद में आता है।
ऑल इंडिया मैंगो ग्रोअर एसोसिएशन के अध्यक्ष इंसराम अली ने अख़बार को बताया कि अच्छी क्वालिटी के आम न आने से निर्यात पर भी नकारात्मक असर पड़ा है।
उन्होंने कहा कि निर्यात आधा हो जाने की आशंका है. साल 2019-20 में 4000 करोड़ रुपये के 49,658 टन आम का निर्यात हुआ था।
लेकिन कोविड में लॉकाडाउन की वजह से 2020-21 में ये आंकड़ा घट कर 21,033 टन रह गया था।