रोज़ी विल्बी पहले इसी नाम से अपना पॉडकास्ट पेश करती थीं. बाद में उन्होंने इसी नाम से किताब लिखी। इस किताब में उन्होंने अपनी निजी ज़िंदगी की बात की है। इसके अलावा पॉडकास्ट में आने वाले मेहमानों से बातचीत के दौरान उन्होंने इंसानी रिश्तों के बारे में जो कुछ समझा, उन सबको अपनी इस किताब में जगह दी है।
उन्होंने इस किताब को लिखने के लिए कई थिरेपिस्ट, समाजशास्त्रियों और वैज्ञानिकों से भी बात की है।
रोज़ी विल्बी कहती हैं कि दिल टूटने से हम बहुत कुछ सीख सकते हैं। अपने अनुभव साझा करते हुए वो कहती हैं कि ब्रेक-अप को कभी भी अच्छा नहीं समझा जाता है लेकिन यह भी मुमकिन है कि इससे आपका भला हो जाए।
सबका अनुभव अलग
दिल्ली स्थित मनोवैज्ञानिक और मैरेज काउंसेलर शिवानी मिश्री साधु कहती हैं कि ब्रेक-अप सबके लिए मुश्किल होता है और इससे निकलने का सबका अनुभव अलग-अलग होता है।
फ़ातिमा फ़रहीन से बात करते हुए शिवानी मिश्री साधु कहती हैं कि रिश्तों का टूटना कई बार हमारे लिए एक सबक़ भी होता है।
वो कहती हैं, “आपका जब ब्रेक-अप होता है तो अपने बारे में जानने और ख़ुद को बेहतर करने का मौक़ा भी मिलता है। हमें इस बात को स्वीकार भी करना चाहिए कि इस रिलेशनशिप में हमसे क्या ग़लती हुई है।
दिल टूटना से होती है नशे की लत
रोज़ी विल्बी दिल टूटने की तुलना नशे की लत से करती हैं। उनके अनुसार रिश्ते टूटने के बाद इंसान का व्यवहार उसी तरह होता है जिस तरह नशे की लत लग चुके किसी व्यक्ति को नशा करने से रोक दिया जाए।
डॉ. समीर मल्होत्रा का भी कहना है कि लव केमिकल यानी ऑक्सीटोसिन हार्मोन जब दिमाग़ के अंदर बढ़ता है तो दूसरे के प्रति आकर्षण बढ़ता है। किसी भी तरह के प्यार में यह दिखता हैं।
वह कहते हैं, ‘’दिमाग़ के अंदर कई बार डोपामिन रिवार्ड पाथवे सक्रिय हो जाता है। इसके कारण आपको उस इंसान से बार-बार मिलने की चाहत बढ़ने लगती है। लेकिन अगर वो आपको ना मिले और रिश्ता टूट जाए तो आपकी हालत उसी तरह की हो जाती है जो नशे के आदी किसी व्यक्ति की ड्रग्स नहीं मिलने के बाद होती है।