आपने कई बार रिसर्च में पड़ा होगा कि डोपामाइन के कारण व्यक्ति बहुत ज्यादा खुश या बहुत ज्यादा दुखी महसूस करता है। असल में यह सच है. डोपामाइन एक मेसेंजर केमिकल है जो दिमाग में काम करता है।
इससे नर्व सेल्स को एकदूसरे तक संकेत पहुंचाने में सहायता होती है। यह दिमाग के अंदर की सेल्स में बनता है और शरीर के दूसरे हिस्सों तक की सेल्स तक काम करता है।
डोपामाइन ब्रेन के कई हिस्सों में काम करता है जिससे खुशी, सैटिस्फेक्शन और दुख का एहसास होता है डोपामाइन नींद, मेमोरी, सीखने की शक्ति, फोकस करने और मूड को कई तरह से प्रभावित करता है।
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डोपामाइन कम या ज्यादा होने पर क्या होता है
दिमाग में डोपामाइन के कम या ज्यादा प्रोडक्शन से गंभीर स्वास्थ्य संबंधी दिक्कतें भी हो सकती हैं जिनमें डिप्रेशन भी शामिल है। बहुत ज्यादा डोपामाइन होने पर व्यक्ति को अपने इंपल्सेस कंट्रोल करने में दिक्कत हो सकती है। इन लोगो में एडीएचडी या किसी चीज का एडिक्शन ज्यादा देखा जाता है।
डोपामाइन के लेवल्स कम होने लगे तो व्यक्ति को मोटिवेटेड फील नहीं होता ना ही किसी बात से वो एक्साइटेड होता है। इससे मसल स्टिफनेस की भी दिक्कत हो सकती है और व्यक्ति को चलने तक में परेशानी का सामना करना पड़ता है।
डोपामाइन इंबैलेंस होने के लक्षण
अगर ब्रेन में डोपामाइन कम या ज्यादा हो तो इसे डोपामाइन इंबैलेंस कहते हैं। डोपामाइन इंबैलेंस होने पर मसल क्रैंप्स, स्टिफनेस, पाचन में परेशानी, कब्ज, एसिड रिफ्लक्स, न्यूमोनिया, नींद में दिक्कत और इसी काम को करने या कुछ कहने में भी दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है।
इसके अलावा मानसिक तौर पर प्रभाव पड़ता है, जैसे थका हुआ महसूस करना, दुखी रहना, उम्मीद की कमी, मोटिवेशन की कमी, लिबिडो यानी सेक्स ड्राइव की कमी और हैलुसिनेशंस आदि।
डोपामाइन लेवल्स में अगर इंबैलैंस महसूस हो तो डॉक्टर की सलाह लेना जरूरी होता है।