रुक रुक कर गहरी सासें लेना। दिल का ज़ोर ज़ोर से धड़कना और पुतलियों का फ़ैल जाना। ये सब उस दौरान होता है जब आप एक दूसरे के होठों पर एक किस करते हैं। लेकिन किस करने से ऐसा क्यों होता है कि आपके शरीर में उत्तेजना पैदा होती है? इसे समझने की ज़रूरत है।
जब दो लोग एक दूसरे को होठों पर किस करते हैं तो इसमें सबसे पहले आपको स्पर्श की अत्यंत अनोखी अनुभूति होती है।
ऐसा इसलिए होता है, क्योंकि आपके होठ बेहद संवेदनशील होते हैं।
जननांग के कुछ हिस्सों को छोड़ दें तो हमारे होठों के सिरे पर इतने नर्व न्यूरॉन्स होते हैं जितने शरीर के किसी अन्य भाग पर नहीं होते। फिर यहां स्वाद भी है।
हम किस क्यों करते हैं, इसे लेकर कई सिद्धांत हैं। लेकिन इनमें से कुछ धरती पर हमारे शुरुआती अनुभवों से जुड़े हो सकते हैं।
जब हम छोटे होते हैं तो हमारे माता-पिता हमें चूमते हैं। उनके साथ ही हमारे लालन पालन के दौरान अन्य कई और लोग हमें चूमते हैं। उस दौरान कई होठों के चुंबन स्पर्श से निकली उत्तेजना हमारे मस्तिष्क को कई सकारात्मक तरंगें भेजती हैं।
इससे हमारा मस्तिष्क बचपन के समय से ही 'किस' यानी चुंबन और होठों की उत्तेजना को प्यार और सुरक्षा के भाव के तौर पर चिह्नित करता है।
तो इस तरह जब आगे की ज़िंदगी में हम ख़ुद को अभिव्यक्त करना चाहते हैं तो मुमकिन है कि ऐसा अपने मुंह के ज़रिए करते हैं। हम ये खोजने की कोशिश करते हैं कि मनुष्यों के बीच पहला चुंबन कब, कहां और कैसे हुआ होगा।
हम ये जानते हैं कि अन्य प्रजातियों के नर, वयस्क महिलाओं के मद चक्र (estrus) के दौरान उनके शरीर के निचले भाग की ओर आकर्षित होते हैं।
किसिंग कल्चर
तो प्राचीन उत्तर भारत में लोग एक दूसरे को सूंघते थे और जब इस दौरान वे अपनी नाक एक-दूसरे के गालों पर ले जाते थे, जो कभी-कभी फिसल कर होठों पर पहुंचते थे, तो चूंकि ये इतने संवेदनशील हैं कि उन्होंने पाया होगा कि चुंबन करना एक-दूसरे को सूंघने से कहीं अधिक सुखद होगा।
लेकिन अगर बात ऐसी पहली किसिंग कल्चर या चुंबन संस्कृति की करें तो उसके लिए हमें रोम की ओर देखना होगा।
रोम को शायद चुंबन संस्कृति की शुरुआत के तौर पर देखा जा सकता है। उनके पास तीन अलग-अलग तरह के चुंबन थे।
इनमें से एक था सैवियम- ये वो किस था जो सलावा शब्द पर आधारित था और इसका हम आज भी 'फ्रेंच किस' के तौर पर इस्तेमाल करते हैं। निश्चित तौर पर उन्हें इसका हमेशा इस्तेमाल करना अच्छा लगता था।
कुछ ऐसी भी जगहें हैं जहां के लोग चुंबन को ख़राब मानते हैं, ये उतना आश्चर्य वाली बात भी नहीं है क्योंकि तब आप अपनी दांतों को आज की तरह ब्रश नहीं किया करते थे और न माउथवॉश का उपयोग करते थे, जैसा कि हम आज के दिनों में करते हैं।
हालांकि अब कुछ ऐसा है जो हम पहले नहीं करते थे। हम एक-दूसरे के शरीर को सूंघ रहे हैं, थपथपा रहे हैं, चाट रहे हैं, चूस रहे हैं और दांत से काट रहे हैं।
हम ये सब चीज़ें कर रहे हैं, एक-दूसरे के शरीर से संबंध स्थापित करने के लिए, जो अंततः हमें एक साथ रखने के लिए, हमारे संबंध मजबूत बनाने के लिए, हमारे शरीर के विभिन्न हॉर्मोन और न्यूरोट्रांसमीटर (शरीर में मौजूद एक प्रकार का रासायनिक संदेशवाहक) को उत्तेजित करने के लिए महत्वपूर्ण है और इससे हम अपने अहम संबंधों को बनाए रखते हैं और किसिंग या चुंबन उसी का एक बड़ा हिस्सा है।
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