वतंबाकू न सिर्फ स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है बल्कि इससे होनेवाली गंदगी को साफ करने में हजारों करोड़ रुपए खर्च करने पड़ते हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन के रिपोर्ट की मानें तो सरकार को 5 हजार 951 करोड़ रुपए खर्च करने होंगे।
अमेरिका, जिनेवा : विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने कहा है कि तंबाकू उत्पादों से फैली गंदगी की सफाई का खर्च करदाताओं को उठाना होगा। ना कि यह समस्या पैदा करने वाले उद्योगों को। साथ ही, हर साल भारत को इसके लिए 76.6 करोड़ डॉलर (5951 करोड़ रुपए) खर्च करना होगा। तंबाकू निषेध दिवस पर डब्ल्यूएचओ ने कहा कि हर साल तंबाकू उद्योग विश्व में 80 लाख लोगों की जान ले रहा है।
WHO ने इस बारे में नई जानकारी दी है कि किस कदर तंबाकू पर्यावरण और मानव स्वास्थ्य दोनों को नुकसान पहुंचा रहा है। संगठन ने उद्योग को उसके द्वारा की जा रही तबाही के लिए कहीं अधिक जवाबदेह ठहराने के वास्ते कदम उठाने का आह्वान किया है।
डब्ल्यूएचओ ने कहा कि सिगरेट, धुआंरहित तंबाकू और ई -सिगरेट प्लास्टिक प्रदूषण को बढ़ाते हैं। सिगरेट के फिल्टर में माइक्रो प्लास्टिक होते हैं और ये विश्व में प्लास्टिक प्रदूषण के लिए जिम्मेदार सामग्री में दूसरे स्थान पर है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कहा कि फ्रांस और स्पेन जैसे देशों और अमेरिका में कैलिफोर्निया और सेन फ्रांसिस्को जैसे शहर ने प्रदूषक भुगतान करे सिद्धांत को अपनाया है। डब्ल्यूएचओ की रिपोर्ट कहता है कि तंबाकू हमारी धरती को विषाक्त करता है। इसमें कहा गया है कि तंबाकू उद्योग का पर्यावरण पर भी असर पड़ रहा है। तंबाकू से उत्पन्न होने वाला कार्बन डॉइऑक्साइड हर साल वाणिज्यिक एयरलाइन उद्योगों के उत्सर्जन का पांचवां भाग है।
सोर्स : नवभारत टाइम्स