ऐसे में नीतीश कुमार मुख्यमंत्री तो हैं लेकिन सभी दलों को साथ लेकर चलना उनके लिए बड़ी चुनौती होगी। 2017 में जिन वजहों से नीतीश कुमार ने महागठबंधन का साथ छोड़ा था वो आज भी हैं। उस दौरान डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव पर लगे भ्रष्टाचार के आरोप का मामला अभी भी खत्म नहीं हुआ है।
लालू परिवार पर भ्रष्टाचार के आरोप: लालू के परिवार के कई सदस्यों पर भ्रष्टाचार के आरोप हैं। राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव इस वक्त भी सजा काट रहे हैं। उनकी पत्नी राबड़ी देवी और उनकी बड़ी बेटी मीसा भारती और बेटे तेजस्वी यादव पर भ्रष्टाचार के मामले चल रहे हैं। तेजस्वी पर लगे आरोपों के बाद ही 2017 में नीतीश कुमार ने महागठबंधन से अलग होने का फैसला लिया था।
पद और अहंकार को दूर रखना : बिहार विधानसभा में कुल 243 सीटें हैं। इसमें राजद के 79, भाजपा के 77, जदयू के 45, कांग्रेस के 19, भाकपा (माले) के 12, भाकपा और माकपा के दो-दो, एआईएमआईएम के एक, हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा (हम) के चार और एक निर्दलीय विधायक हैं। एक सीट रिक्त है। मतलब साफ है, इस वक्त महागठबंधन में सबसे ज्यादा सीटें राजद की हैं। इसके बावजूद जदयू के नीतीश कुमार मुख्यमंत्री हैं। ऐसे में नीतीश को सरकार चलाने के लिए राजद को संतुष्ट करना पड़ेगा। सरकार में राजद का दखल भी पहले के मुकाबले इस बार ज्यादा होगा। इससे निपटा भी नीतीश के लिए एक बड़ी चुनौती होगी।
राजद, कांग्रेस और जदयू के कार्यकर्ताओं के बीच भी काफी मतभेद हैं। सरकार चलाने के लिए महागठबंधन के सभी दलों के कार्यकर्ताओं और नेताओं के बीच समन्वय भी नीतीश कुमार, तेजस्वी के लिए बड़ी चुनौती होगी।