गरीब लोगों की दुर्दशा को देखते हुए, UPSC में जीत हासिल की
डॉक्टर सैय्यद मुस्तफ़ा हाशमी ने बताया कि उन्होंने अस्पतालों में गरीब लोगों की दुर्दशा को करीब से देखा है। इस हालात ने उन्हें बड़े कैनवास पर काम करने के लिए प्रोत्साहित किया।
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संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) सिविल सर्विस एग्जाम (CSE) 2021 का फाइनल रिजल्ट सोमवार को आ गया। हैदराबाद के डॉक्टर सैय्यद मुस्तफ़ा हाशमी ने 162वां रैंक हासिल कर समाज का नाम रोशन किया है। डॉक्टर सैय्यद मुस्तफ़ा हाशमी उस्मानिया मेडिकल कॉलेज के छात्र रह चुके हैं और अभी सर्जन के तौर पर प्रैक्टिस करते हैं।
पुराने हैदराबाद के फर्स्ट लांसर मसाब टैंक क्षेत्र में रहने वाले डॉक्टर मुस्तफ़ा ने अपने अकैडमिक करियर के दौरान हमेशा अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया क्योंकि उन्होंने शिक्षा और किताबों से रिश्ता जोड़ लिया।
उन्होंने कहा कि यूपीएससी परीक्षा में सफलता कोई आसान काम नहीं है क्योंकि इसके लिए तैयारी को बहुत गंभीरता से लेने की आवश्यकता होती है। अपनी सफलता का श्रेय माता-पिता को देते हुए डॉक्टर सैय्यद मुस्तफ़ा हाशमी ने कहा कि उन्होंने केवल एग्जाम में लिखा है लेकिन असली सफलता उनके माता-पिता की है, जिन्होंने पिछले 25 से 30 वर्षों में उनका पालन-पोषण करते हुए मार्गदर्शन किया।
नॉलेज से है गहरा नाता
डॉ. मुस्तफ़ा हाशमी ने कहा कि महामारी के दौरान जिला अस्पताल में ड्यूटी के दौरान उन्होंने सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी भी की और सफल भी हुए। हाशमी वर्तमान में एक सर्जन हैं लेकिन नॉलेज से उनका गहरा संबंध है। अपने करियर के बारे में मुस्तफ़ा ने बताया कि वह वर्तमान में पेशे से सर्जन हैं, उन्होंने उस्मानिया मेडिकल कॉलेज से एमबीबीएस और एमएस किया है।
मुस्तफ़ा ने बताया कि उनकी प्रारंभिक शिक्षा खाड़ी देशों में हुई क्योंकि उनके पिता सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात में काम करते थे। बाद में जब परिवार हैदराबाद लौटा तो उन्होंने एबिड्स हाई स्कूल में दाखिला लिया। इसी स्कूल से उन्होंने 10वीं की पढ़ाई पूरी की। चेतनिया स्कूल से बारहवीं की परीक्षा पास करने के बाद वह स्टेट मेडिकल एंट्रेंस एग्जाम में शामिल हुए। तब संयुक्त आंध्रप्रदेश में 10वां स्थान हासिल किया था। उनका नाम अल्पसंख्यक उम्मीदवारों में सबसे ऊपर था।
दादा की चाहत थी आईएएस बने
मुस्तफ़ा ने कहा कि हालांकि उनकी निजी इच्छा डॉक्टर बनने की थी, लेकिन उनके दादा चाहते थे कि वह एक आईएएस अधिकारी बनें। उनके दादा जल निर्माण विभाग में डिप्युटी जनरल मैनेजर थे। एक डॉक्टर के रूप में काम करते हुए उन्होंने महसूस किया कि लोगों की समस्याएं केवल दवा और स्वास्थ्य तक ही सीमित नहीं हैं, बल्कि गरीबी और पिछड़ेपन की समस्याएं कहीं अधिक गंभीर हैं। फिर वह इस नतीजे पर पहुंचे कि बड़े पैमाने पर लोगों की सेवा करने के लिए सिविल सेवा परीक्षा पास करना आवश्यक है।
इस उपलब्धि को हासिल करने के लिए उन्होंने एक फलसफा गढ़ा, जिंदगी छोटी है, इसका पूरा उपयोग करने की जरूरत है। डॉक्टर सैय्यद मुस्तफ़ा हाशमी ने कहा कि सिविल सेवा परीक्षा में सफलता के लिए बहुत मेहनत, तैयारी और प्रतिबद्धता की आवश्यकता होती है। अपनी पिछली उपलब्धियों का जिक्र करते हुए उडॉक्टर सैय्यद मुस्तफ़ा हाशमी ने बताया कि 2010 में उन्होंने वर्ल्ड बायलोजी ओलंपियाड के लिए क्वॉलिफाई किया था। दक्षिण कोरिया में आयोजित कॉम्पिटिशन में उन्होंने सिल्वर मेडल जीता था। सोनी टीवी पर प्रसारित लोकप्रिय शो में उन्होंने अमिताभ बच्चन के सामने भी अच्छा प्रदर्शन किया। इसके अलावा भाषण और निबंध प्रतियोगिताओं में कई बार टॉपर रह चुके हैं।
सोर्स : रिपोर्ट डेस्क