आयतुल्लाह शेख़ क़ासिम ने इस सम्मेलन में भाग लेने वाले धार्मिक विद्वानों से कहा है कि वे इस सम्मेलन में साहस के साथ अपने विचार रखें।
शेख़ ईसा क़ासिम का कहना है कि इस सम्मेलन में दुनिया भर के मुस्लिम और ग़ैर-मुस्लिम विद्वानों को आमंत्रित किया गया है, क्योंकि इस सम्मेलन के माध्यम से मुस्लिम देशों को ख़ुश करने का प्रयास किया जा रहा है।
बहरीन के शिया मुसलमानों के धार्मिक नेता ने कहा कि अगर इस सम्मेलन के परिणाम, धर्म के विरुद्ध और न्याय के विरुद्ध होंगे, तो जो लोग इसमें भाग ले रहे हैं, वे भी इसमें भागीदार होंगे। यह लोग भी ज़िम्मेदार होंगे, लेकिन अगर वे साहस के साथ अपने विचार रखते हैं तो फिर यह ज़िम्मेदारी उनके कांधों पर नहीं होगी।
ग़ौरतलब है कि बहरीन की जनता 2011 से देश में तानाशाही व्यवस्था की समाप्ति और लोकतांत्रिक व्यवस्था की स्थापने के लिए संघर्ष कर रही है, लेकिन आले ख़लीफ़ा शासन जनता की इस आवाज़ को कुचल रहा है और बड़े पैमाने जनता का दमन कर रहा है।