दावोस में विश्व आर्थिक मंच के एक कार्यक्रम में बिलावल भुट्टो ने कश्मीर का मुद्दा उठाते हुए कहा कि कश्मीर की बात आने पर ये रेज़ोल्यूशन और क़ानून अर्थहीन क्यों हो जाते हैं?
पाकिस्तानी विदेश मंत्री का कहना था कि यूरोप और पश्चिम के देश संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद रेज़ोल्यूशन को बेहद महत्वपूर्ण मानते हैं लेकिन कश्मीर के मामले में ये मात्र काग़ज़ का टुकड़ा बन कर रह जाते हैं।
यूक्रेन युद्ध और उसके असर पर ग्लोबल साउथ के एक देश के तौर पर उनकी राय पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि हम संयुक्त राष्ट्र और अंतरराष्ट्रीय नियमों का समर्थन करते हैं, लेकिन जहां तक बात इस कारण जानो-माल के नुक़सान और दूसरों पर इसके असर की बात है हम मानते हैं कि इसका असर केवल यूरोप या पश्चिमी देशों पर ही नहीं बल्कि पाकिस्तान पर भी पड़ा है।
बिलावल ने अनाज संकट की तरफ इशारा करते हुए कहा कि अमेरिका के साथ-साथ पाकिस्तान में भी ईंधन की कीमतें बढ़ी हैं और हम भी खाद्य संकट का सामना कर रहे हैं।
उन्होंने कहा कि लेकिन हम नहीं मानते कि यूक्रेन संकट इस तरह का पहला मामला है जब संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद और अंतरराष्ट्रीय नियमों की अवमानना की गई है।
उन्होंने संयुक्त राष्ट्र के नियमों के पालन में फर्क की बात करते हुए कहा कि ये विडंबना है कि संयुक्त राष्ट्र यूक्रेन मामले में जो लागू करता है वो इराक़ मामले में नहीं करता ये दुख की बात है कि यूरोप और पश्चिमी देशों में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के जिन रेजोल्यूशन को बेहद अहम माना जाता है, लेकिन कश्मीर का मामला आने पर ये मात्र कागज़ का टुकड़ा बन जाते हैं।