यूपी में मुसलमानों के होटलों को लेकर विवाद क्यों?
मुज़फ़्फ़रनगर में एक हिंदूवादी संत ने इन ढाबों के ख़िलाफ़ अब धरना शुरू कर दिया है। दो हफ़्ते तक होटलों के बंद रहने की वजह से इनके मालिकों को आर्थिक नुक़सान भी हुआ है।
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उत्तर प्रदेश के मुज़फ़्फ़रनगर ज़िले में कांवड़ यात्रा के दौरान इसके यात्रा मार्ग पर पड़ने वाले सभी मुसलमान मालिकों के सभी होटल और कथित तौर पर बंद करा दिए गए। इनमें मांसाहारी और शाकाहारी, दोनों तरह के ही होटल शामिल थे।
कांवड़ यात्रा मार्ग के वे सभी होटल और ढाबे क़रीब 15 दिन बंद रहे, जिनके मालिक या स्टाफ़ मुसलमान हैं। हालांकि अब ये होटल और ढाबे धीरे-धीरे खुलने लगे हैं लेकिन अब इनके सामने एक नई चुनौती है।
कांवड़ यात्रा के मार्गों पर हाल के वर्षों की कांवड़ यात्रा के दौरान मांस या मछली की दुकानें बंद करवाई जाती रही हैं। लेकिन इस बार मुसलमान मालिकों के शाकाहारी होटल भी बंद करवा दिए गए।
इस बारे में मुज़फ़्फ़रनगर के सिटी मैजिस्ट्रेट विकास कश्यप ने एक बयान में कहा, “कांवड़ यात्रा के दौरान पिछली बार एक घटना प्रकाश में आई थी। इस बार सभी होटल मालिकों की बैठक की गई और उन्हें निर्देशित किया गया कि जो आपका नाम है वही डिस्पले कीजिए, इसके अलावा कुछ और नहीं।”
वहीं मुज़फ़्फ़रनगर के ज़िलाधिकारी अरविंद बंगारी ने इस विषय पर ये कहते हुए टिप्पणी करने से इनकार कर दिया कि अब कांवड़ यात्रा समाप्त हो गई है और कोई विवाद नहीं है।
कांवड़ मार्ग पर मुस्लिमों के शाकाहारी होटल और ढाबे क्यों बंद कराए गए? उन्हें किस तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ा और कितना नुक़सान हुआ? इन्हीं सवालों का जवाब तलाशने के लिए हमने मुज़फ़्फ़रनगर के कई ढाबा मालिकों से बात की।
ढाबा मालिकों का क्या है कहना?
कांवड़ यात्रा के मुख्य मार्ग एनएच-58 पर बाग़ों वाली चौराहा स्थित पंजाबी न्यू स्टार शुद्ध ढाबा पर हमारी मुलाक़ात सोनू पाल और सादिक़ त्यागी से हुई। सोनू पाल बताते हैं, “मैं होटल का मालिक हूं, लेकिन मोहम्मद यूसुफ़ उर्फ़ गुड्डू होटल में पार्टनर है. ज़मीन भी मुस्लिम की ही है, जिनका नाम आलम है।”
सोनू कहते हैं, “कांवड़ का सीज़न था और प्रशासन ने हमारा होटल बंद करा दिया। फूड लाइसेंस से लेकर सारा काम मेरे यानी सोनू के नाम से ही हैं।”
वे बताते हैं, “30-35 लड़कों का स्टाफ़ है, सभी खाली पड़े रहे. सीज़न की वजह से एडवांस में सामान भी लाकर रखा हुआ था। सब ख़राब हो गया। हमे क़रीब तीन-चार लाख का नुक़सान हुआ है।”
सोनू दावा करते हैं, “किसी भी तरह का नोटिस नहीं मिला. केवल दो-चार पुलिस वाले आए और होटल बंद करा दिया। पूछने पर जवाब मिला कि तुम मुसलमान होकर हिंदू के नाम पर होटल चला रहे हो।
मुज़फ़्फ़रनगर प्रशासन ने ऐसे होटल बंद किए जाने को लेकर कोई लिखित आदेश जारी नहीं किया था।
हालांकि ज़िला प्रशासन के अधिकारियों ने मीडिया से बातचीत में कहा था कि ऐसे होटल बंद कराए गए हैं जिनके मालिक मुसलमान हैं और नाम हिंदू हैं. आगे के लिए भी कोई आदेश अभी जारी नहीं हुआ है।
एनएच-58 पर स्थित ‘वेलकम टू पिकनिक पॉइंट टूरिस्ट ढाबा’ का कांवड़ यात्रा से पहले तक नाम ‘ओम शिव वैष्णो’ ढाबा था. लेकिन कांवड़ यात्रा के दौरान हुए विरोध के बाद अब इसका नाम बदल दिया गया है।
ढाबा मालिक आदिल राठौर कहते हैं, “इस होटल को पहले कंवरपाल ओम शिव वैष्णो ढाबा के नाम से चला रहे थे। इसे फिर हमने किराए पर ले लिया और इसी नाम से चलाते रहे।”
आदिल बताते हैं, “हम वेज खाना बनाते हैं. पूरा स्टाफ़ मिंटू, अमन, सोनू, बिजेंद्र और विक्की आदि सब हिंदू हैं। अंडा या प्याज़-लहसुन तक इस्तेमाल नहीं करते। फिर भी हमारे होटल को 4 तारीख़ को बंद करवा दिया. आज ही खोला है। हमें क़रीब 4-5 लाख रुपये का नुकसान हुआ है।”
वे कहते है, “कुछ स्टाफ़ बच्चों समेत ढाबे पर रहते हैं. ढाबा बंद होने के दौरान खाने-पीने की भी दिक्कत हुई। मेरा गांव 30 कि.मी. दूर खतौली के पास खोकनी नगला है, वहां से मेरा भाई ज़रूरत का सामान लेकर यहां आया।
आदिल ये भी कहते हैं, “किराया, बिजली का बिल और कारीगरों को वेतन देने की चिंता सता रही है।
आदिल कहते हैं, “पता नहीं था कि इससे किसी हिंदू को परेशानी हो जाएगी। इससे पहले भी मीरापुर में बाबा अमृतसरी के नाम से कई साल होटल चला चुके हैं।वहां किसी को कोई परेशानी नहीं हुई।