पाकिस्तान एक नवंबर से देश में रह रहे अवैध अफगानी लोगों को निर्वासित करने की प्रक्रिया शुरू कर देगा। संयुक्त राष्ट्र ने पाकिस्तान को ऐसा नहीं करने की चेतावनी भी दी लेकिन पाकिस्तान ने चेतावनी को खारिज कर दिया है और कहा है कि अफगानी नागरिकों का निर्वासन अंतरराष्ट्रीय नियमों और सिद्धांतों के अनुरूप ही किया जा रहा है।
पाकिस्तान ने संयुक्त राष्ट्र की बात मानने से किया इनकार
पाकिस्तानी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता मुमताज जाहरा बलोच ने दोहराया कि 'पाकिस्तान सरकार सभी अवैध शरणार्थियों को निर्वासित करेगी फिर चाहे वो किसी भी देश या राष्ट्रीयता के हो। यह फैसला पाकिस्तान की संप्रभुता के लिए है।' बता दें कि पाकिस्तान सरकार ने अवैध शरणार्थियों को स्वैच्छिक रूप से चले जाने की समय सीमा तय की थी, जो 31 अक्तूबर को खत्म हो रही है।
अब एक नवंबर से जबरन अवैध शरणार्थियों को निकालने की कवायद शुरू हो जाएगी। बता दें कि संयुक्त राष्ट्र की संस्था यूएनएचसीआरने पाकिस्तान को चेतावनी दी थी कि पाकिस्तान ने अगर दस लाख से ज्यादा अवैध अफगानियों को निर्वासित किया तो इससे मानवीय आपदा आ सकती है। संयुक्त राष्ट्र की संस्था ने पाकिस्तान से अवैध शरणार्थियों का निर्वासन रोकने की अपील की थी।
यूएनएचसीआर की रिपोर्ट के अनुसार, पाकिस्तान द्वारा अवैध शरणार्थियों को वापस भेजने के एलान के बाद से करीब 60 हजार अफगानी पहले ही अफगानिस्तान लौट चुके हैं। इनमें से 78 प्रतिशत पर गिरफ्तारी की तलवार लटक रही है। पाकिस्तानी विदेश मंत्रालय ने साफ किया कि जो शरणार्थी पाकिस्तान में वैध रूप से रह रहे हैं, उन्हें निर्वासित नहीं किया जाएगा।
पाकिस्तान की सरकार देश में बढ़ती कट्टरता से परेशान है। पाकिस्तान में हाल के सालों में इस्लामी कट्टरपंथियों के कई हमले हुए हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, इस साल पाकिस्तान में हुए 24 आत्मघाती हमलों में से 14 अफगान नागरिकों ने किए हैं। साथ ही पाकिस्तान अफगानिस्तान की सीमा, कट्टरपंथियों का गढ़ बन गई है। आतंकी संगठन तहरीक ए तालिबान के उभार में भी पाकिस्तान में बैठे कट्टरपंथियों ने अहम भूमिका निभाई। पाकिस्तान की आर्थिक स्थिति भी इन दिनों खराब दौर से गुजर रही है। यही वजह है कि अब पाकिस्तान की सरकार अवैध अफगानियों से छुटकारा पाना चाहती है।