यमन के हालात इतने ख़राब कैसे हुए?
अरब स्प्रिंग के बाद 2014 में पूर्व राष्ट्रपति हादी रब्बे के इस्तीफ़े के बाद हूतियों ने यमन की राजधानी सना पर कब्ज़ा कर लिया।
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हूती आमतौर पर शिया मुसलमानों के ज़ायदी संप्रदाय से आते हैं और माना जाता है कि उनके पीछे ईरान का समर्थन है।
उन्होंने इस्तीफ़ा दे चुके राष्ट्रपति अब्दरब्बू मंसूर हादी को हटाने के बाद राजधानी सनआ पर कब्ज़ा कर लिया था। अरब स्प्रिंग क्रांति के बाद लंबे समय से सत्ता पर क़ाबिज़ पूर्व राष्ट्रपति अली अब्दुल्ला सालेह से फ़रवरी 2012 में सत्ता छीनी थी.
मार्च 2015 में सऊदी अरब ने यमन से अंसारुल्लाह (जिन्हे हूती भी कहा जाता है) की पकड़ को हटाने और यमन में अपने पसंद की सरकार को सत्ता में लाने के लिए यमन पर हमला शुरू कर दिया। जिस समय सऊदी अरब ने यह हमले शुरू किए तब कहा जा रहा था कि सऊदी अरब एक सप्ताह के अंदर यमन पर कब्ज़ा कर लेगा। लेकिन सच्चाई यह है कि आज 7 वर्ष हो जाने के बावजूद यह संघर्ष जारी है। और सऊदी अरब न केवल यह कि अपने मिशन में कामयाब नहीं हुआ है बल्कि स्थानीय स्तर पर अंसारुल्लाह की लोकप्रियता में भी इज़ाफ़ा हुई है।
सऊदी अरब गठबंधन को अमेरिका, ब्रिटेन और फ्रांस से सैन्य और ख़ुफ़िया मदद मिली हुई है। हालांकि बढ़ते मानवीय संकट और लगातार होती आलोचनाओं के बाद अमेरिका ने सऊदी अरब को हथियारों की बिक्री रोक दी थी। हालांकि सऊदी अरब को अमरीका की तरफ़ से खुफिया मदद अब भी जारी है।
यमन संकट के आंकड़े डराने वाले
यमन में पिछले सात साल से ज़्यादा समय से जारी युद्ध के आधिकारिक आंकड़े इस मामले की गंभीरता को जाहिर करते हैं।
प्राप्त खबरों के अनुसार इस युद्ध में अब तक लाखों लोगों की मौत हो चुकी है, यमन का आधारभूत ढांचा ढह चुका है।
यमन में अब तक भू़ख़ से लाखों लोगों विशेष कर बच्चों की मौत हो चुकी है, और संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट के अनुसार यमन की आबादी का लगभग 80 प्रतिशत को तुरंत मानवीय सहायता की आवश्यकता है।
संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी उच्चायुक्त (यूएनएचसीआर), मानवीय मामलों के समन्वय के लिए संयुक्त राष्ट्र कार्यालय (यूएनओसीएचए), संयुक्त राष्ट्र विश्व खाद्य कार्यक्रम (डब्ल्यूएफपी) जैसी अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं से हासिल आंकड़े यमन की भयावह स्थिति को उजागर करते हैं।
इन आंकड़ों के अनुसार, 2021 के अंत तक सऊदी अरब के हमलों में देश में कम से कम 377,000 लोग मारे जा चुके हैं. पिछले सात सालों से चल रहे इस युद्ध में अब तक दस हज़ार से ज़्यादा बच्चे मारे जा चुके हैं या ज़ख्मी हो गए हैं। (बताते चलें कि यमन युद्ध के आरम्भ में संयुक्त राष्ट्र ने बच्चों की मौत के अंतिम आंकड़े 10000 बताए थे, उसके बाद से लगभग चार वर्षों से यह आंकड़े अपडेट नहीं किए गए हैं।) इस लड़ाई के चलते वहां अब तक 40 लाख से ज़्यादा लोग विस्थापित हो चुके हैं।
वहीं देश के 3 करोड़ लोगों में से 1.74 करोड़ लोगों को अभी पेट भरने के लिए मदद की ज़रूरत है। अनुमान है कि इस साल के अंत तक यह गिनती बढ़कर 1.9 करोड़ हो जाएगी.
यमन के 50 लाख लोग भुखमरी के कगार पर खड़े हैं, जबकि क़रीब 50 हज़ार लोग पहले से ही भुखमरी जैसे हालातों का सामना कर रहे हैं।
यमन युद्ध और सऊदी अरब की स्थिति
यमन युद्ध के आरम्भ में सऊदी अरब की मज़बूत थी, उसको अमरीका और पश्चिमी देशों की सहायता के साथ गठबंधन के रूप में मज़बूत समर्थन प्राप्त था, लेकिन समय बीतने के साथ साथ, सऊदी अरब के सहयोगी देशों ने एक एक करके उसका साथ छोड़ना शुरू कर दिया। यमन युद्ध में सऊदी अरब का सब से बड़ा सहयोगी देश यूएई की इजरायल के साथ संबंधो को समान्य करने के बाद प्राथमिक्ताएं बदल चुकी है। अब यूएई मध्य पूर्व में सऊदी अरब की जगह लेने के लिए पूरा ज़ोर लगा रहा है। इसके देखते हुए दोनों देशों में अनबन भी हुई है।
अमरीका जो लगातार सऊदी अरब का समर्थन कर रहा था, नए प्रशासन के आने के बाद उसने अमरीका को हथियारों के बिक्री पर रोक लगा दी है। मानवाधिकार समूह और बहुत से देश लगातार जारी मानवाधिकार उल्लंघन के कारण सऊदी अरब की निंदा कर रहे हैं। और यह दबाव डाल रहे हैं कि जल्द अज़ जल्द इस युद्ध को समाप्त किया जाए।
आर्धिक स्तर पर भी सऊदी अरब को बड़ा नुकसान झेलना पड़ा है। युद्ध के शुरू होने के बाद से सऊदी अरब को लगातार बजट घाटे का सामना करना पड़ा है। राष्ट्रीय स्तर पर महंगाई बढ़ रही है जिसके कारण राष्ट्री स्तर पर असंतोष बढ़ रहा है।
सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस बिन सलमान ने राष्ट्रीय स्तर पर कई लोकलुभावन योजनाए शुरू करके असंतोष को कम करने की कोशिश की है। उन्होंने एक इस्लामी धार्मिक देशों में सिनेमा, और नाइट क्लब खोलने की अनुमति दी, महिलाओं को ड्राइंविग की इजाज़त दी गई, नियोम प्रोजेक्ट शुरू करके सऊदी अरब ने विदेशी निवेश को आकर्शित करने की कोशिश की।
लेकिन सच्चाई यह है कि यमन युद्ध में सऊदी अरब बुरू तरह फंस चुका है। कुछ सूत्रों का कहना है कि इस दलदल से निकलने के लिए सऊदी अरब ईरान से बातचीत कर रहा है। हालांकि इस बातचीत का क्या नतीजा रहा, या फिर मानवीय इतिहास की यह सबसे बड़ी त्रास्दी कब समाप्त होगी यह आने वाला समय ही बताएगा।