"इन आठ घटनाओं ने ईरान और सऊदी अरब को करीब किया" ईरान-सऊदी समझौते पर इसराइली विश्लेषक की राय
"मोर्दचाई किदार" नाम के एक इसराइली विशेषज्ञ ने एक लेख प्रकाशित किया और दावा किया कि आठ घटनाओं ने बीजिंग की मध्यस्थता के साथ सऊदी अरब को ईरान के करीब ला दिया है। उनका मानना है कि ईरान के साथ सऊदी अरब के संबंधों की बहाली का तेल अवीव पर नकारात्मक प्रभाव पड़ा है।
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चीन की मध्यस्थता से ईरान और सऊदी अरब के बीच हुए समझौते पर इसराइली लॉबी अभी भी आश्चर्य में है। इसराइल को सबसे अधिक डर इस बात का है कि कहीं संयुक्त अरब अमीरात और बहरीन भी इस समझौते में शामिल न हो जाएं। इसराइलियों का मानना है कि इसराइल का हालिया आंतरिक संकट और सऊदी अरब और ईरान के बीच संबंधों को बहाल करने के समझौते के बीच गहरा संबंध है।
इसराइल के विश्लेषक ईरान और सऊदी अरब के संबंधों की बहाली के लिए कारक घटनाों से से पहली घटना 2010 के अंत में "अरब स्प्रिंग" (इस्लामी जागृति) की शुरुआत मानते हैं और लिखते हैं: "सऊदी अरब को तब एहसास हुआ कि अमेरिका ने उनको अकेला छोड़ गिया है, और अमेरिका उनके दुश्मनों ईरान एवं मुस्लिम ब्रदरहुड को करीब आना चाह रहा है।"
इस इसराइली विशेषज्ञ के दावों के अनुसार, इन घटनाओं में से दूसरी घटना सऊदी अरब के कड़े विरोध के बावजूद 2015 में ईरान के साथ परमाणु समझौते पर हस्ताक्षर करना था। रियाद ने अमेरिका द्वारा इस समझौते पर हस्ताक्षर को रियाद का अपमान समझा, और उसको डर है कि भविष्य में इस प्रकार के और समझौतों पर हस्ताक्षर हो सकते हैं जिसका सबसे अधिक नुकसान सऊदी अरब को होगा।
तीसरा मामला वह मीडिया तूफान था जो 2018 में इस्तांबुल में सऊदी पत्रकार जमाल खशोगी की हत्या के बाद उठा और जिसने सऊदी क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान और देश की प्रतिष्ठा को बहुत नुकसान पहुंचाया। और अब बिन सलमान ईरान के साथ समझौता करके अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी खोई हुई गरिमा को वापस पाने की कोशिश कर रहे हैं।
चौथी घटना जिसने सऊदी अरब को ईरान के साथ सामंजस्य स्थापित करने के लिए मजबूर किया, वह सितंबर 2019 में यमन और इराक से ईरानी मिसाइलों और ड्रोन के साथ अरामको प्रतिष्ठानों पर हमला था। इसका महत्व तब और बढ़ जाता है जब हम यह देखते हैं कि यमन सऊदी अरब के 8 साल के आक्रमण और सऊदी अरब सैन्य शक्ति एवं हथियारों की श्रेष्ठता से डरे बिना यमन की राष्ट्रीय मुक्ति सरकार के अधिकारियों ने इस चीज़ को स्वीकार किया कि आरामको तेल संयंत्रों को निशाना बनाने वाले सभी मीसाइलों को यमन से ही दागा गया है।
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इसराइली विश्लेषक के दावों के अनुसार, सऊदी अरब को ईरान के साथ समझौता करने के लिए प्रोत्साहित करने वाली पाँचवीं घटना यमन युद्ध के दलदल से निकने की रियाद की कोशिशें थी। बिन सलमान जिन्होंने दावा किया था कि वे 4 महीनों में यमन पर कब्ज़ा कर लेंगें, उन्होंने देख लिया कि युद्ध के 8 साल बीत जाने के बाद न केवल सऊदी अरब यमन में अपने लक्ष्यों को प्राप्त नहीं कर सका है, बल्कि क्षेत्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर हौथी और अधिक शक्तिशाली हुए हैं और हालत यह है कि हौथी अब युद्धविराम वार्ता के स्तंभों में से एक हैं।
लेखक ने दावा किया है कि छठी घटना ईरान के पीछे जो बिडेन का खड़ा होना था। उन्होंने दावा किया कि बिडेन ने ईरान पर लगे प्रतिबंधों को रद्द करने की कोशिश की, और ऊर्जा निर्यात को फिर से शुरू करने और ईरान के अरबों डॉलर के अवरुद्ध धन की रिहाई की भी अनुमति दी! सउदी अरब को इससे समझ में आया कि संयुक्त राज्य अमेरिका ईरान के साथ अपने संबंधों को मजबूत करने का इरादा रखता है, भले ही ईरान परमाणु राज्य बन जाए।
लेखक के अनुसार सातवीं घटना को यूक्रेन युद्ध है। उन्होंने दावा किया कि इस युद्ध में अमेरिका और पश्चिमी यूरोप एक तरफ हैं और रूस, ईरान और चीन दूसरी तरफ हैं। इसराइली विश्लेषण के अनुसार, अमेरिकी और यूरोपीय पक्ष यूक्रेन की क्षेत्रीय अखंडता को बनाए रखने में विफल रहे हैं और इस घटना के कारण पश्चिम सउदी की नज़र में विश्वासघाती और कमजोर बन गया।
इसराइली विश्लेषक ने आठवीं घटना को इसराइली शासन के साथ संबंधों को सामान्य करने का समझौता और मध्य पूर्व में उस शासन की भूमिका को करार दिया, क्योंकि 2020 में सऊदी अरब ने यूएई और बहरीन को इसराइली शासन के साथ संबंधों को सामान्य करने के लिए हरी झंडी दे दी थी, लेकिन ईरान के डर से, वह खुद सामान्यीकरण के रास्ते पर नहीं चला।
इसराइलियों के विस्तृत विश्लेषण और घटनाओं की समीक्षा से पता चलता है कि सउदी महसूस करते हैं कि वे इस क्षेत्र में ईरान के आधिपत्य को कम करने या हराने में खिलाफ विफल रहे हैं, और सउदी अरब के लिए केवल एक चीज जो बची है वह यह है कि कि वह नुकसान को कम करने की कोशिश करे।
ईरान, सऊदी अरब और चीन ने 19 मार्च, 2023 को एक संयुक्त बयान में घोषणा की कि चर्चाओं के परिणामस्वरूप, इस्लामिक गणराज्य ईरान और सऊदी अरब अधिकतम दो महीने के भीतर राजनयिक संबंधों को फिर से शुरू करने पर सहमत हुए, और दूतावास और एजेंसियों को फिर से खोलें।