कर्नाटक में मुसलमान नहीं कर सकते फलों का कारोबार
कर्नाटक में मुसलमानों के खिलाफ़ एक के बाद एक विवाद चल ही रहा है। कभी हिजाब का मुद्दा तो कभी गोश्त हलाल तो कभी अज़ान का मुद्दा लेकिन अब तो हद ही हो गई अब मुसलमान फलों का कारोबार भी नहीं कर सकते।
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हिंदूवादी संगठन श्री राम सेना ने अब मुसलमान फल व्यापारियों के बहिष्कार का आह्वान किया है। इससे पहले कर्नाटक में मस्जिदों के लाउडस्पीकर से अज़ान और हलाल गोश्त को लेकर विवाद हो चुका है। श्री राम सेना का आरोप है कि 'आमों के थोक बाज़ार पर मुसलमान कारोबारियों का वर्चस्व है जो हिंदू किसानों से फल ख़रीदने के लिए इंतज़ार कराते हैं और फिर सस्ती दर निर्धारित करके आधी रात में आम ख़रीदते हैं।'
श्री राम सेना के सिद्धालिंगास्वामी कहते है, "ये सिर्फ़ कोलार ज़िले में आम बाज़ार (जो राज्य का सबसे बड़ा आम बाज़ार भी है) तक सीमित नहीं है बल्कि प्रांत के सब्ज़ी बाज़ारों में भी ऐसा ही है। उदाहरण के तौर पर आलंद, बीदर ज़िलों में 50 प्रतिशत कारोबारी मुसलमान हैं और 50 प्रतिशत हिंदू हैं। मुसलमान कारोबारी ग़रीब हिंदू महिला सब्ज़ी विक्रेताओं को बाज़ार से बाहर धकेलने की धमकी देते हैं।"
श्री राम सेना जनवरी 2009 में तब चर्चा में आई थी जब उसके कार्यकर्ताओं ने मैंगलुरू के एक पब में अपने परिवार के साथ आई महिलाओं पर हमला किया था। तब से ये संगठन कई मुद्दों पर प्रदर्शन करता रहा है। वेलेंटाइन डे के जश्न के ख़िलाफ़ भी श्री राम सेना प्रदर्शन करती रहती है। हाल ही में श्री राम सेना ने मस्जिदों से अज़ान दिए जाने पर रोक लगाने की मांग की है। इसके अलावा ये संगठन फल और सब्ज़ी बाज़ारों में 'हिंदुओं को घुसाने' का अभियान भी चला रहा है। संगठन का कहना है कि इन बाज़ारों में मुसलमान कारोबारियों की संख्या अधिक है।
श्री राम सेना के नेता प्रमोद मुत्तालिक ने कहा कि हलाल मीट को लेकर अभियान इसलिए शुरू किया गया क्योंकि ये सब मुसलमानों ने हिजाब विवाद से शुरू किया है। उन्होंने कहा, "वो हिजाब विवाद को लेकर अदालत गए और जब फैसला आया तो वो संविधान के विरोध में ही क़दम उठाने लगे। उन्होंने हाई कोर्ट के फ़ैसले का विरोध किया। हम सिर्फ़ उनका विरोध कर रहे हैं।"
क्यों हो रही है तकलीफ़?'
मस्जिद से लाउडस्पीकर से अज़ान दिए जाने के मुद्दे पर उन्होंने कहा कि श्री राम सेना लंबे समय से इस विषय पर अभियान चला रही है। मुत्तालिक ने कहा, "हमने डिस्ट्रिक डिप्टी कमिश्नरों को कई शिकायतें दी हैं और मस्जिदों के ख़िलाफ़ कार्रवाई की मांग की है और अज़ान पर रोक लगाने को कहा है।"
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वहीं सेना की इस मांग पर मुख्यमंत्री बसावराज बोम्मई ने कहा है कि डेसिबल स्तर को लेकर हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसलों को लागू किया जाना चाहिए। बोम्मई ने कहा कि अदालत ने अपने आदेश के पालन पर रिपोर्ट भी तलब की है। लेकिन फल बाज़ार में मुसमलानों की मौजूदगी को लेकर चलाया गए इस ताज़ा अभियान को लेकर कोलार डिस्ट्रिक्ट मैंगो ग्रोअर एसोसिएशन असहज है। कोलार क्षेत्र में सभी तरह के आम उगाए जाते हैं। इनमें तोतापरी, मलिगा, नीलम, केसर, मालगोवा, रसपुरी, सिंदूरी, बदामी और अल्फोंसो आदि शामिल हैं। ये आम यहां से ट्रेन की विशेष बोगियों के ज़रिए दिल्ली और देश के बाक़ी हिस्सों में पहुंचते हैं।
एसोसिएशन के अध्यक्ष नीलातुर चिनप्पा रेड्डी ने कहा, "अगर इस इलाक़े में मुसलमान कारोबारी अधिक हैं तो क्या हुआ? ये उनका धर्म है, ये उनका पारंपरिक कारोबार है, इसलिए ही वो यहां हैं। इससे किसी को कोई तकलीफ़ क्यों होनी चाहिए? तुम भी आओ और कारोबार करो, तुम्हें कौन रोक रहा है। क्या किसी मुसलमान ने तुम्हें रोका है। कोलार ज़िले में हम सब एक हैं। हिंदू और मुसलमान कारोबारी यहां भाई-भाई की तरह हैं। हम बिना किसी विवाद के साथ में रहते हैं और साथ में ही कारोबार करते हैं।"
सोर्स : बीबीसी