सोमवार को प्रकाशित एक रिपोर्ट में, पीपीएस ने कहा कि सितंबर 2000 में दूसरे इंतिफादा की शुरुआत के बाद से 19,000 नाबालिगों को गिरफ्तार किया गया था, जिनमें 10 साल से कम उम्र के बच्चे भी शामिल थे।
वकालों की इस समूह का कहना है कि वर्तमान में 160 फिलिस्तीनी किशोर इजराइली जेलों में बंद हैं।
पीपीएस के अनुसार, किशोरों द्वारा उपलब्ध कराए गए सबूतों से पता चलता है कि उनमें से अधिकांश को इजराइली जांचकर्ताओं के हाथों किसी न किसी प्रकार के शारीरिक या मनोवैज्ञानिक शोषण का सामना करना पड़ा है। किशोरों के संबंध में मानवाधिकार संगठनों का कहना है कि इजराइल ने व्यापक पैमाने पर नाबालिगों के विरुद्ध मानवाधिकार विरोधी और बच्चों के अधिकार विरोधी कार्य किए हैं जो अंतर्राष्ट्रीय और मानवीय अधिकारों का घोर उल्लंघन है।
PPS द्वारा फिलिस्तीनी बच्चों की स्थिति पर रिपोर्ट "फिलिस्तीनी बाल दिवस" के अवसर पर आती है, जो हर साल 5 अप्रैल को मनाया जाता है।
सितंबर 2021 में, फिलिस्तीनी कैदियों के अध्ययन केंद्र ने कहा कि हाल के वर्षों में, इजराइली अधिकारियों ने फिलिस्तीनी बच्चों निशाना बनाने में तेज़ी लाई है। जिसका मकसद इजरायल के कब्जे का विरोध रोकना है। कई मामलों में इजराइल ने फिलिस्तीनी बच्चों के शैक्षिक अवसरों को बर्बाद किया है। रिपोर्टस बताती है कि हाल के समय में फिलिस्तीनी बच्चे इजराइल का साफ्ट शिकार हैं। तथ्य बताते हैं कि इजराइल द्वारा बच्चों के विरुद्ध कार्यवाही तेज़ करने का कारण उनको डरा कर आने वाली नस्ल के प्रतिरोध को तोड़ने के साथ साथ बच्चों को गिरफ्तार करके उनके माता पिता पर इजराइल कब्ज़े का विरोध न करने का दबाव डालना है।
इससे पहले, रामल्लाह में फिलिस्तीनी सूचना मंत्रालय के आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, सितंबर 2000 और अप्रैल 2013 में दूसरे इंतिफादा की शुरुआत के बीच इजराइली सेना द्वारा 1,500 से अधिक फिलिस्तीनी बच्चे मारे गए थे। आंकड़ों के अनुसार इन 13 वर्षों में इजराइली सेना द्वारा हर दिन में एक फिलिस्तीनी बच्चें की हत्या की गई है।
कथित तौर पर हजारों फिलिस्तीनी इजराइल की जेलों में बंद है। मानवाधिकार समूहों का कहना है कि इज़राइल जिनेवा कन्वेंशन द्वारा कैदियों को दिए गए सभी अधिकारों और स्वतंत्रता का उल्लंघन कर रहा है।
इजराइली जेलों में उचित स्वच्छता मानकों की कमी के साथ जेल अधिकारियों ने फिलिस्तीनी कैदियों को बेहद अपमानजनक परिस्थितियों में रखा है। इन जेलों में फिलिस्तीनी कैदियों को व्यवस्थित यातना, दुर्व्यवहार और दमन का शिकार होना पड़ा है।
इजराइल की जेलों में रिपोर्ट के अनुसार 7,000 से अधिक फिलिस्तीनी कैदी हैं। महिलाओं और नाबालिगों सहित सैकड़ों बंदियों को एक तथाकथित प्रशासनिक हिरासत में रखा गया है। कई मामलों में कुछ बंदियों को 11 साल से प्रशासनिक हिरासत में रखा गया है।