गुजरात दंगों का दाग़ धुलने की कोशिश, पाठ्य पुस्तक से हटाया गया चैपटर
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, पाठ्यपुस्तक की पुनर्गठित सामग्री पर एनसीईआरटी द्वारा जारी नोट के अनुसार, पुस्तक से गुजरात दंगों से संबंधित पृष्ठ 187-189 हटाए गए हैं।
हटाए गए एक पैराग्राफ में कहा गया है कि गुजरात दंगों से पता चलता है कि सरकारी तंत्र भी सांप्रदायिक भावनाओं के आगे झुक जाता है, गुजरात जैसे उदाहरण हमें राजनीतिक उद्देश्यों के लिए धार्मिक भावनाओं का उपयोग करने में शामिल खतरों के प्रति सचेत करते हैं, यह लोकतांत्रिक राजनीति के लिए ख़तरा पैदा करता है।
इसमें तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी का वह बयान भी शामिल है, जिसमें वे गुजरात के मुख्यमंत्री को राजधर्म की सीख देते नजर आ रहे हैं।
किताब के पृष्ठ 105 को भी हटाया गया है, इसमें ‘नक्सली आंदोलन’ का इतिहास था और पृष्ठ 113-117 भी हटाए गए हैं जिनमें ‘आपातकाल से संबंधित विवाद’ लिखे थे।
अपने बयान में एनसीईआरटी ने कहा कि पाठ्यपुस्तक को व्यवस्थित करने के लिए उस सामग्री को हटाया गया है जिसके समान सामग्री उसी कक्षा के अन्य विषयों में शामिल थी और उस सामग्री को हटाया गया है जो कि वर्तमान संदर्भों में अप्रासंगिक है।
इंडियन एक्सप्रेस की एक्सक्लूसिव रिपोर्ट के मुताबिक़, भारत में एनसीईआरटी की किताबों से आपातकाल से लेकर गुजरात दंगों तक के अध्याय को हटा दिया जाएगा।
17 जून को एनसीईआरटी ने बताया था कि गुजरात दंगे, आपातकाल और दूसरे कई अध्यायों को पाठ्य पुस्तक से हटा दिया है। गुरुवार को एक नोटिफ़िकेशन जारी करते हुए एनसीईआरटी ने लिखा कि कोरोना महामारी के मद्देनज़र पाठ्यपुस्तक को रैशनल होना चाहिए, इसलिए संशोधन करने का फ़ैसला किया गया है।
बिहार में बीजेपी के सहयोगी दल जेडीयू के नेता केसी त्यागी ने कहा है कि इतिहास तो इतिहास है, इसे पलटा नहीं जा सकता है।
इससे पहले बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी इस मुद्दे पर स्पष्ट राय दे चुके हैं। उन्होंने भी हाल में कहा था कि इतिहास को दोबारा नहीं लिखा जा सकता है।
वहीं त्यागी का कहना था कि कौन सा अध्याय रहे और कौन सा हटा दिया जाना चाहिए, यह इतिहासकारों और शोधकर्ताओं पर छोड़ दिया जाना चाहिए। जेडीयू के अलावा कांग्रेस के राज्यसभा सांसद जयराम रमेश ने भी इसकी आलोचना की है। इसके अलावा राजद के सांसद मनोझ झा ने बीजेपी पर निशाना साधते हुए लिखा है कि बीजेपी एक ऐसा अतीत पेश करने की कोशिश कर रही है जो कभी था ही नहीं।
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