स्मृति मंधाना वह खूबसूरत महिला क्रिकेटर जिसकी बल्लेबाज़ी है कातिलाना
भारतीय महिला क्रिकेट टीम की कप्तान स्मृति मंधाना जो खूबसूरत होने के साथ साथ कातिलाना बल्लेबाज़ी भी करती हैं, और महिला क्रिकेट में एक बड़ा नाम हैं।
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कॉमनवेल्थ गेम्स में पाकिस्तान के ख़िलाफ़ भारत ने 8 विकेटों की शानदार जीत दर्ज की। इस जीत की हीरो रहीं बल्लेबाज़ स्मृति मंधाना।
स्मृति की तूफ़ानी 63 रनों की पारी की मदद से भारत ने ये जीत हासिल की। अर्जुन पुरस्कार से सम्मानित स्मृति मंधाना आज वर्ल्ड क्रिकेट में एक बड़ा नाम है।
लेकिन मुंबई की गलियों से खेलते हुए भारत की कप्तानी करने तक का सफ़र उनके लिए आसान नहीं रहा। उनके क्रिकेट करियर के कुछ अनूठे पहलुओं पर डालते हैं एक नज़र।
जब राइट हैड वाली स्मृति बनी लेफ़्ट हैंड बल्लेबाज़
स्मृति का जन्म मुंबई में हुआ था जब वो 4 साल की थी तब उनकी रूचि क्रिकेट में जागी और उन्होंने अपने बड़े भाई श्रवन मंधाना के साथ घर में ही क्रिकेट खेलना शुरु किया।
स्मृति की गिनती आज दुनिया के स्टाइलिश लेफ़्ट हैंड बैटर्स में होती है लेकिन स्मृति का दायाँ हाथ ज़्यादा मज़बूत और हावी है। उनके दाएं हाथ के बल्लेबाज़ बनने की कहानी भी दिलचस्प है।
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दरअसल स्मृति के पिता थोड़ा बहुत क्रिकेट खेलते थे और दाएं हाथ से बैटिंग करते थे। लेकिन घर पर वो जब अपने बेटे श्रवन के साथ खेलते तो बैटिंग बाएं हाथ से करते।
कुछ साल पहले एक इंटरव्यू में स्मृति ने बताया कि उनके भाई को लगता था कि बैटिंग बाएं हाथ से ही करते हैं और उन्होंने भी लेफ़्ट हैंड स्टांस लिया और ऐसे ही बैटिंग करने लगे।
उन दोनों को देखकर स्मृति ने भी बल्ला बाएं हाथ से ही पकड़ा और लगातार प्रैक्टिस के बाद आज इस मुकाम पर पहुँची हैं।
स्मृति कहती हैं कि उनके आसपास के लोग और परिवारजन भी चाहते थे कि स्मृति पारंपरिक तरीके से ही रहे लेकिन उनकी मां चाहती थी कि भाई की तरह स्मृति भी कोई खेल खेले।
शुरू में उनका मन स्मृति को टेनिस की ट्रेनिंग दिलवाने का था लेकिन स्मृति की क्रिकेट में रुचि को देखकर उन्हें भी क्रिकेट की कोचिंग करवाई गई।
स्मृति अपने भाई के साथ ग्राउंड पर जाती और पूरे समय उनकी बैटिंग के बाद स्मृति के पास 10-15 गेंदें खेलने का मौका मिलता। धीरे-धीरे जब स्मृति का खेल निखरा तो उन्हें पूरी प्रैक्टिस का अवसर भी मिलने लगा। स्मृति ने जल्दी तरक्की की और मात्र 11 साल में वो महाराष्ट्र की अंडर 19 टीम में आ गईं।
17 साल की स्मृति ने फर्स्ट क्लास वनडे गेम में दोहरा शतक लगाया। वेस्ट ज़ोन के अंडर-19 टूर्नामेंट में उन्होंने 32 चौके लगाते हुए 138 गेंदों पर 200 रन बनाए और 224 पर वो नाबाद रही।
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ये एक रिकॉर्ड शतक था क्योंकि इससे पहले किसी भारतीय महिला क्रिकेटर ने वनडे मैच में दोहरा शतक नहीं लगाया था।
अपने फॉर्म के साथ स्मृति ने इस शतक का श्रेय राहुल द्रविड़ को दिया। दरअसल कुछ साल पहले स्मृति के भाई की मुलाक़ात राहुल द्रविड़ से हुई।
एक सच्चे फ़ैन की तरह उन्होंने द्रविड़ से उनका कोई एक बैट मांगा। द्रविड़ ने भी निराश नहीं किया और किट में से एक बैट उन्हें दे दिया। भाई श्रवन ने ऑटोग्राफ लेते हुए उस बैट पर बहन स्मृति का नाम लिखवाया। जब स्मृति को ये गिफ़्ट मिला तो वो बहुत खुश हुई। लेकिन स्मृति ने ये भी देखा की बैट कितना शानदार था।
उन्होंने कहा, 'वाह क्या ज़बरदस्त बैलेंस है बैट में, मैं इससे ही खेलूंगी।' स्मृति ने उसी बैट से खेलना शुरु किया और खूब रन बनाए जिसमें वो दोहरा शतक भी शामिल था। हद तो तब हो गई जब स्मृति सभी पारी इसी बैट से खेलने लगी। बाद में उनके पिता ने समझाया कि अब बैट बदल लो, पुराना हो गया है। आज वो बैट स्मृति के शो-केस में सजा हुआ है।