भारत के रक्षा संस्था डिफ़ेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट आर्गनाइज़ेशन डीआरडीओ के एक वैज्ञानिक को कथित तौर पर जासूसी और एक पाकिस्तानी एजेंट को संवेदनशील जानकारियां देने के आरोप में गिरफ़तार कर लिया गया है।
डीआरडीओ के लिए काम करने वाले वैज्ञानिक की गिरफ़तारी के बाद महाराष्ट्रा के एटीएस की ओर से एक बयान जारी किया गया है।
बयान में कहा गया है कि वैज्ञानिक ने अपनी पोज़ीशन का ग़लत फ़ायदा उठाते हुए एक दुश्मन मुल्क को जानकारियां दीं। बयान में कहा गया है कि इस वैज्ञानिक को मालूम था कि उसके पास मौजूद सरकारी राज़ अगर दुश्मन देश के पास पहुंच जाएंगे तो देश की सुरक्षा को ख़तरा पैदा हो सकता है।
बयान के अनुसार यह वैज्ञानिक एक अहम पद पर आसीन था। महाराष्ट्र एटीएस के अनुसार यह वैज्ञानिक वाट्स एप के ज़रिए एक पाकिस्तानी ख़ुफ़िया एजेंट के संपर्क में था जिससे इस वैज्ञानिक की वीडियो काल्ज़ भी हुईं। जांच एजेंसी के अनुसार यह हनी ट्रैप का मामला लगता है।
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भारतीय अख़बार टाइम्ज़ आफ़ इंडिया की ख़बर में स्पेशल प्रोसीक्यूटर विजय फ़ारगाद के हवाले से बताया गया है कि डीआरडीओ के एक इंक्वायरी अफ़सर ने 24 फ़रवरी को इस वैज्ञानिक की लैपटाप और दो मोबाइन फ़ोन क़ब्ज़े में लिए थे। फ़ारेंज़िक जांच के बाद पता चला कि वैज्ञानिक ने कथित तौर पर पाकिस्तानी ख़ुफ़िया एजेंट से संपर्क किया और उसे जानकारियां दीं।
गिरफ़तार होने वाले वैज्ञानिक के बारे में बताया गया कि वो महत्वपूर्ण पद पर थे और तीन दशकों से अधिक समय से कई महत्वपूर्ण परियोजनाओं का हिस्सा रह चुके थे।
अदालत ने वैज्ञानिक को 9 मई तक रिमांड पर एटीएस के हवाले कर दिया है।