मच्छरदानी में हुई मच्छरों की क्लास, रिसर्च सामने आई
मच्छर आज भी कई बीमारी की वजह बने हुए हैं। हर साल लाखों लोग मच्छरों के काटने की वजह से बीमार होते हैं। बड़ी संख्या में लोगों की मौत भी हो जाती है।
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कुछ साल पहले गर्मियों की एक रात के वक़्त हमारे एक साथी एक होटल के कमरे में ठहरे हुए थे। उनके कानों में गूंज रही थी एक मच्छर की परेशान करने वाली भिनभिनाहट।
वो आवाज़ उन्हें बहुत परेशान कर रही थी लेकिन उन्होंने पूरे धैर्य के साथ मच्छर के अपने हाथ पर बैठने का इंतज़ार किया और जैसे वो पल आया, उन्होंने चार उंगलियों से अपने दूसरे हाथ पर थपकी दी और मच्छर हमेशा के लिए सो गया।
आपको याद होगा कभी बॉलीवुड की एक फ़िल्म का मच्छर से जुड़ा एक डायलॉग बहुत चर्चित हुआ था, कुछ वैसा ही डर होटल के उस कमरे में था। वो मच्छर मलेरिया, डेंगू या फिर ज़ीका का वाहक हो सकता था।
ब्राज़ील की माइलीन फरेरा ने इस दर्द को सहा है। साल 2016 की एक रात एक मच्छर ने उन्हें काटा। कुछ महीने बाद उन्होंने अपने बेटे डेविड को जन्म दिया। वो पैदाइशी माइक्रोसेफली बीमारी से पीड़ित थे। इसकी वजह मच्छर के जरिए खून में आए वायरस को माना गया।
उस साल ब्राज़ील में ऐसे हज़ारों मामले मिले और फिर विश्व स्वास्थ्य संगठन ने इसे ग्लोबल इमर्जेंसी करार दे दिया।
और इस बीच ये सवाल भी सामने आता है कि क्या मच्छरों का दुनिया से सफ़ाया संभव है और अगर है तो इस दिशा में कोई कदम क्यों नहीं उठाया जाता? और क्या ऐसा करने में भी कुछ ख़तरे हैं?
तलाश है अहम
अफ़्रीकी देश माली में मच्छरों पर काम करने वाले वैज्ञानिक टोवी लेहमैन कहते हैं, "उड़ने वाले ऐसे छोटे जीव, जो या तो बीमारी फैलाते हैं या फिर परेशान करते हैं, मच्छर उससे कहीं बढ़कर हैं।"
टोवी लेहमैन की टीम कई बरसों से माली में मच्छरों पर अध्ययन कर रही है। उनकी राय हैं कि अगर मच्छरों के बारे में जानकारी हो तो उन पर काबू पाना सीखा जा सकता है।
वो कहते हैं कि मच्छरों से जुड़े कई सवाल ऐसे हैं जो दिमाग को चक्कर में डाल देते हैं। जैसे कि ऐसे सूखे इलाके जहां सतह पर पानी ही नहीं होता, वहां मच्छर कैसे बचे रहते हैं सूखे मौसम यानी गर्मियों में जब लगता है कि मच्छर कहीं गायब हो गए तो वो फिर सामने आ जाते हैं।
टोवी कहते हैं, "अंडों, लार्वा और प्यूपा को पानी की ज़रूरत होती है। वो पानी के बिना कुछ दिन से ज़्यादा नहीं बच सकते हैं। वयस्क मच्छर अधिकतम एक या दो महीने जीवित रह सकते हैं। सैद्धांतिक तौर पर माना जा सकता है कि अगर पैदा होने के लिए पानी न हो तो तमाम मच्छर ख़त्म हो जाएंगे। लेकिन हमने देखा है कि बारिश होते ही बड़ी तेज़ी से काफी संख्या में मच्छर पैदा हो जाते हैं। इससे साफ है कि उनके पास इन हालात से निपटने की प्रभावी रणनीति है।"
मच्छरों को तलाश कर पाना इतना मुश्किल क्यों है, इस सवाल पर टोवी कहते हैं, "मच्छर बड़े आकार के जीव नहीं है। वो रात में सक्रिय होते हैं। उनकी रफ़्तार भी बहुत तेज़ होती है। आपके लिए एक मच्छर को तब तक देख पाना मुश्किल होता है जब तक कि वो बिल्कुल आपकी आंखों के सामने न हो या फिर आपके या आपके करीब बैठे किसी व्यक्ति के जिस्म पर ही नहीं बैठ रहा हो। और आपने अगर उसे झट से नहीं मारा तो वो फिर से आपकी आंख से ओझल हो जाएगा।"
टोवी लेहमैन ने बताया, "हमने एक पूरे घर को बंद कर दिया। हमने एक बड़ी मच्छरदानी लगाई। हम ये देखना चाहते थे कि एक बार पूरे घर को कवर कर दिया जाए तो क्या मच्छर किसी ऐसी जगह से बाहर आते हैं जहां वो छुपे हैं। उनकी संख्या कम होने पर हमने घर के ऊपर कृत्रिम बरसात की। सात टन पानी गिराने के लिए हमने एक टैंकर मंगाया। हम देखना चाहते थे कि क्या इससे मच्छर दोबारा सामन आते हैं।"
जब ऐसा नहीं हुआ तो उन्होंने खोजी कुत्तों को बुलाया। टोवी बताते हैं कि उन्होंने मच्छरों पर इत्र छिड़का और उन्हें इस उम्मीद के साथ छोड़ दिया कि वो अपने ठिकानों की ओर जाएंगे। कुत्तों के लिए भी उन महकते मच्छरों की तलाश आसान नहीं थी। उन्हें दीमक के कड़े टीले खोदने थे। अपनी रिसर्च में टोवी ने हॉट एयर बैलून भी आजमाए।
टोवी बताते हैं, " तीन साल के दौरान हमने ज़मीन से लगभग 100 से तीन सौ मीटर की ऊंचाई पर करीब 30 एनोफ़िलीज़ मच्छर इकट्ठा किए, ये हमारे और दूसरे तमाम लोगों के लिए भी एक गेमचेंजर फैक्ट था, इससे जाहिर हुआ कि मच्छर कहीं लंबी दूरी तय कर सकते हैं। अहम बात ये थी कि मादा मच्छरों में से कई के पास विकसित अंडे थे। इसके मायने ये थे कि वो न सिर्फ खुद दूसरे इलाकों में जा सकती हैं बल्कि अपने साथ परजीवी और रोगाणु भी ले जा सकती हैं। ऐसे में ये मच्छर उन इलाकों में भी मलेरिया फैला सकते हैं जहां से इस बीमारी का उन्मूलन कर दिया गया है। मच्छरों की तलाश, उन पर नज़र रखना और उन्हें मार डालना, आप जितना सोच सकते हैं, उससे कहीं ज़्यादा मुश्किल है। अब सवाल है कि क्या हम ऐसा कर सकते हैं?
टोवी लेहमैन कहते हैं कि अफ़्रीकी महाद्वीप जैसे बड़े इलाके से मच्छरों को पूरी तरह ख़त्म करना नामुमकिन जैसा है।
लेकिन क्या इसका कोई और रास्ता है।
सोर्स : बीबीसी