क्या भारत सरकार ने राष्ट्रीय चिह्न के शेर को बदल दिया है?
भारत सरकार ने 26 जनवरी 1950 कोअशोक स्तंभ को भारत के राष्ट्रीय चिह्न के रूप में स्वीकार किया गया था। मौर्य वंश के शासक सम्राट अशोक ने ये स्तंभ सारनाथ में स्थापित किया था जहाँ महात्मा बुद्ध ने पहला उपदेश दिया था।
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भारत की नरेंद्र मोदी सरकार पर भारत के राष्ट्रीय चिह्न के साथ छेड़छाड़ और अनादर करने का आरोप लग रहा है। मगर सरकार ने कहा है कि ये आरोप बिलकुल ग़लत हैं और निर्माणाधीन नई संसद पर लगा शेरों के सिर वाला राष्ट्रीय प्रतीक सारनाथ में मौजूद अशोक स्तंभ के अनुरूप है। वहीं संसद पर लगाए गए प्रतीक को बनाने वाले मूर्तिकार का कहना है कि दूर से देखने पर कुछ अंतर लग सकता है मगर ये प्रतीक एक जैसे ही हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस सप्ताह को नई संसद भवन की छत पर अशोक स्तंभ का अनावरण किया। 6।5 मीटर ऊंचे इस स्तंभ को बनाने में 9,500 किलो तांबा लगा है। नई संसद की इमारत इसी साल खुलने वाली है।
केंद्र के संस्कृति मंत्रालय में सचिव रहे और अभी तृणमूल कांग्रेस के सांसद जवाहर सरकार ने राष्ट्रीय चिह्न की नई और पुरानी तस्वीर शेयर करते हुए लिखा है, ''मूल राष्ट्रीय चिह्न बाईं तरफ़ है, जो सुंदर और शान के साथ आत्मविश्वास से भरा है। दाईं तरफ़ मोदी वर्जन वाला राष्ट्रीय चिह्न है, जिसे संसद की नई इमारत की छत पर लगाया गया है। इसमें शेर गुर्रा रहा है और अनावश्यक रूप से आक्रामक के साथ बेडौल है। शर्मनाक! इसे तत्काल बदलें!''
जवाहर सरकार ने कोलकाता से प्रकाशित होने वाला अंग्रेज़ी दैनिक द टेलिग्राफ़ से कहा है कि अशोक स्तंभ को राष्ट्रीय चिह्न के तौर पर हज़ारों में से चुना गया था क्योंकि यह संयमित शक्ति और शांति का प्रतिनिधित्व करता है।
जवाहर सरकार ने कहा, ''राज्य की शक्ति निश्चित रूप से उसकी मज़बूती पर टिकी होती है लेकिन राष्ट्रीय चिह्न संयमित शक्ति और शांति का प्रतिनिधित्व करता है न कि आक्रामकता का। नए चिह्न से ऐसा लग रहा है कि पुराने मूल्यों की जगह अब नई आक्रामकता ने ले ली है।''
सरकार कहते हैं कि शेर की पहचान उसकी उग्रता में देखी जाती है लेकिन उसके चेहरे पर सौम्यता लाकर सम्राट अशोक ने शांति और संयम पर ज़ोर दिया था।
सुप्रीम कोर्ट के वकील और एक्टिविस्ट प्रशांत भूषण का कहना है कि मूल राष्ट्रीय चिह्न महात्मा गांधी के साथ खड़ा है तो नया वर्जन महात्मा गांधी के हत्यारे नाथूराम गोडसे को दर्शाता है।
प्रशांत भूषण ने अपने ट्वीट में लिखा है, ''गांधी से गोडसे तक, हमारे राष्ट्रीय चिह्न में चारों शेर शान के साथ शांति से बैठे हैं जबकि नए राष्ट्रीय चिह्न जो संसद की नई इमारत की छत पर लगाया गया है; के शेर नुकीले दाँतों के साथ ग़ुस्से में हैं। यही मोदी का नया भारत है!''
वकील संजय घोष ने भी ट्वीट कर कहा है, ''भारत को मूल सारनाथ राजधानी के प्रतीक में देखा गया और मोदी जी ने शेरों के प्रतीक में देखा। पुराना भारत- मज़बूत, आत्मविश्वासी और प्रेमभाववाला, दूसरी तरफ़ नया भारत: ग़ुस्से में, असुरक्षित और प्रतिशोधी।'
अशोक स्तंभ
26 जनवरी 1950 को अशोक स्तंभ को भारत का राष्ट्रीय चिह्न चुना गया था
वाराणसी के पास सारनाथ में मौजूद है सम्राट अशोक के काल का अशोक स्तंभ
इस स्तंभ के चार में से केवल तीन शेर सामने से दिखते हैं
स्तंभ के आधार पर मध्य में एक चक्र है। दाईं ओर सांड़ और बाईं ओर घोड़ा बना है
राष्ट्रीय प्रतीक में अशोक स्तंभ के नीचे "सत्यमेव जयते" लिखा रहता है
मोदी सरकार का कहना है कि राष्ट्रीय चिह्न में कोई बदलाव नहीं हुआ है।
हालाँकि केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्री हरदीप सिंह पुरी का कहना है कि संसद की नई इमारत पर राष्ट्रीय चिह्न सारनाथ के शेर का बिल्कुल माकूल प्रतिरूप है।
हरदीप सिंह पुरी ने ट्वीट कर कहा है, ''यह अनुपात और दृष्टिकोण बोध का मामला है। कहा जाता है कि सौंदर्य आपकी आँखों में होता है। यह आप पर निर्भर करता है कि शांति देखते हैं ग़ुस्सा। सारनाथ का अशोक स्तंभ 1।6 मीटर लंबा है और संसद की नई इमारत पर जिस राष्ट्रीय चिह्न को लगाया गया है, वह 6।5 मीटर लंबा है।''
सरकार के प्रवक्ताओं का कहना है कि सेंट्रल विस्टा के तहत बनी संसद की नई इमारत पर जिस राष्ट्रीय चिह्न को लगाया है गया है, वह सारनाथ के अशोक स्तंभ से चार गुना ज़्यादा लंबा है। इनका तर्क है कि सौंदर्य की तरह 'शांति और आक्रोश' लोगों की आँखों में होता है।
इन सबके बीच 9,500 किलो तांबे का राष्ट्रीय चिह्न बनाने वाले कलाकार सुनील देवरे और रोमिइल मोसेज ने एनडीटीवी से कहा है कि इसके डिज़ाइन में कुछ भी बदलाव नहीं किया गया है।
देवरे ने कहा, ''हमने पूरे विवाद को देखा। शेर का किरदार एक जैसा ही है। संभव है कि कुछ अंतर हो। लोग अपनी-अपनी व्याख्या कर सकते हैं। यह एक बड़ी मूर्ति है और नीचे से देखने में अलग लग सकती है। संसद की नई इमारत की छत पर अशोक स्तंभ को 100 मीटर की दूरी से देखा जा सकता है। दूरी से देखने पर कुछ अंतर दिख सकता है।'''