भारत में सुप्रीम कोर्ट ने 1992 में उत्तर प्रदेश के अयोध्या में बाबरी मस्जिद को ढहाए जाने के बाद इस राज्य और अन्य जगहों पर अदालत की अवमानना से जुड़े सारे केस बंद करने का आदेश दिया है।
अदालत ने बाबरी मस्जिद की ज़मीन हिंदू पक्ष को सौंप दिए जाने के अपने फ़ैसले को हवाला देते हुए कहा कि ज़मीन के बुनियादी विवाद का फ़ैसला हो चुका है जिसके बाद अदालत की अवमानना का केस बेअसर हो जाता है।
जस्टिस संजय किशन कवल और अभय एस ओका की बेंच ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के 2019 के उस फ़ैसले की रौशनी में यह दरख़्वास्त बेअसर हो गई जिसमें हिंदू पक्ष को बाबरी मस्जिद की ज़मीन सौंप दी गई।
उत्तर प्रदेश की सरकार ने बाबरी मस्जिद की हिफ़ाज़त की गारंटी सुप्रीम कोर्ट को दी थी मगर इसके बावजूद मस्जिद को गिरा कर दिया गया जिसके बाद यूपी सरकार के ख़िलाफ़ अदालत की अवमानना का मुक़द्दमा चला।
2019 में सुप्रीम कोर्ट ने बाबरी मस्जिद की ज़मीन कट्टरपंथी हिंदुओं को सौंप दी जिस पर वे मंदिर का निर्माण कर रहे हैं।
इससे पहले सितम्बर 2020 में सीबीआई की अदालत ने पूर्व उप प्रधानमंत्री एल के अडवाणी, उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह, भाजपा नेता मुर्ली मनोहर जोशी और उमा भारती सहित सारे अभियुक्तों को बरी कर दिया था।
बाबरी मस्जिद से जुड़े मसले में अदालत के फ़ैसले पर बहुत से लोगों ने असंतोष जताया है।
सोर्स पार्स टूडे