'अमेरिकी आधिपत्य की समाप्ति' मौत से ठीक पहले अमेरिकी विचारक का विवादास्पद बयान
अमेरिकी विचारक और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार ने अपनी मृत्यु से ठीक पहले एक साक्षात्कार में कहा था कि दुनिया में अमेरिकी आधिपत्य अपने पतन की ओर है।
Table of Contents (Show / Hide)
!['अमेरिकी आधिपत्य की समाप्ति' मौत से ठीक पहले अमेरिकी विचारक का विवादास्पद बयान](https://cdn.gtn24.com/files/india/posts/2022-10/thumbs/american-hegemony-is-on-downfall-thinker-said-just-before-hi-dead.webp)
2012 में अपनी मृत्यु से पहले, अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति जिमी कार्टर के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार ज़बिग्न्यू ब्रेज़िंस्की ने यूरोन्यूज़ को एक विवादास्पद साक्षात्कार दिया था। इस साक्षात्कार की विशेषता अमेरिकी आधिपत्य और एकध्रुवीय दुनिया के अंत पर उनका बयान था।
90 के दशक में एक प्रमुख राजनीतिक वैज्ञानिक फ्रांसिस फुकुयामा ने एक प्रभावशाली निबंध 'द एंड ऑफ हिस्ट्री?' लिखा था, जिसमें उदार लोकतंत्र की जीत और एक वैचारिक दुनिया के आगमन की घोषणा की गई थी। उन्होंने 2021 में अमेरिकी आधिपत्य के पतन के बारे में भी लिखा।
लेकिन यह केवल फुकुयामा ही नहीं थे जिन्होंने अमेरिकी आधिपत्य के पतन के बारे में लिखा था, बल्कि कई अन्य पश्चिमी राजनीतिक विचारकों और विश्लेषकों ने हाल के वर्षों में अमेरिका के पतन और पश्चिम से पूर्व में सत्ता परिवर्तन के बारे में लिखा है।
21 साल के कब्जे के बाद अफगानिस्तान से अमेरिकियों का अराजक और अनियोजित प्रस्थान, पहले लिखी गई हर चीज की हालिया पुष्टि थी।
दूसरे विश्व युद्ध के बाद का एकध्रुवीय विश्व अब एक बहुध्रुवीय और बहुपक्षीय दुनिया में बदल गया है।
अमेरिकी शक्ति का पतन, यानी अमेरिकी नेतृत्व वाली ध्रुवीय दुनिया का अंत दो महत्वपूर्ण चीजों का परिणाम है:
यह भी पढ़ें
अमेरिका के मानवाधिकार रिकार्ड पर एक नज़र
पहला, अन्य देश, विशेष रूप से पूर्वी देश, पहले की तुलना में आर्थिक और राजनीतिक रूप से बहुत अधिक शक्तिशाली हो गए हैं, और अब उनके पास कहने के लिए बहुत कुछ है।
दूसरा, अमेरिका पहले से कहीं अधिक आंतरिक समस्याओं का सामना कर रहा है, जिसमें आर्थिक मंदी का संकट, मुद्रास्फीति, अपराध के आंकड़ों में वृद्धि, साथ ही लोगों के बीच गहरा राजनीतिक और सामाजिक विभाजन शामिल है।
2020 में अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव के बाद से, गृहयुद्ध की संभावना के बारे में कई चेतावनी दी गई हैं, और यह खतरा अभी भी बना हुआ है। अगर अमेरिका में गृय युद्ध नहीं भी छिड़ता है तब भी यह गहरे मतभेद उस "अमेरिकी सपने" को सच नहीं होने देगा जिसका वादा वर्षों से किया गया है।
2012 में अपनी मृत्यु से पहले, ब्रेज़िंस्की ने यूरोन्यूज़ को एक विवादास्पद साक्षात्कार भी दिया, इस साक्षात्कार की विशेषता अमेरिकी आधिपत्य और एकध्रुवीय दुनिया के अंत पर उनका बयान था। इस साक्षात्कार के एक हिस्से में, उन्होंने जोर दिया: "अमेरिका का अब दुनिया पर आधिपत्य नहीं हो सकता है।"
एक प्रमुख अमेरिकी विचारक और भाषाविद् "नोम चॉम्स्की" भी कहते हैं: "अमेरिका साम्राज्य का अंदर से पतन हो चुका है। अमेरिका में डेमोक्रेसी नाम की कोई चीज़ नहीं बची है हम पूंजीपतियों के शासन को देख रहे हैं।"
एक राजनीतिक विश्लेषक और सीएनएन के प्रस्तुतकर्ता फरीद ज़कारिया ने अपने अध्ययन और शोध का एक बड़ा हिस्सा अमेरिकी विदेश नीति के मुद्दे पर समर्पित किया है। ज़कारिया का मानना है कि अमेरिकी आधिपत्य का पतन इस देश द्वारा द्वितीय विश्व युद्ध के बाद के वर्षों में अपनी शक्ति के अनुचित उपयोग का परिणाम है।
जकारिया का मानना है कि 11 सितंबर 2001 के हमलों ने अमेरिकी आधिपत्य के पतन में दोहरी भूमिका निभाई।उनके अनुसार अमेरिकी हिज़मोनी को पतन का दूसरा कारण, इराक पर हमला था, जो संयुक्त राज्य अमेरिका के लिए एक महंगी आपदा में बदल गया।
उनके अनुसार, डोनाल्ड ट्रम्प के सत्ता में आने से अमेरिकी विदेश नीति को अंतिम घातक झटका लगा है। ट्रम्प ने अमेरिका को टीपीपी (TPP) जैसे समझौतों से पीछे हटाकर, यूरोप से दूरी बनाकर अमेरिकी राजनीति को सऊदी अरब और इज़राइल केंद्रित करके अमरीकी आधिपत्य के पतन के ताबूत में अंतिम कील ठोंक दी है।
विस्कॉन्सिन-मैडिसन विश्वविद्यालय के प्रोफेसर और प्रसिद्ध पुस्तक "द पॉलिटिक्स ऑफ हेरोइन: सीआईए कॉम्प्लिसिटी इन द ग्लोबल ड्रग ट्रेड" के लेखक अल्फ्रेड मैककॉय का मानना है कि सीआईए द्विवारा भिन्न देशों में तख्तापलट की साज़िशें, वियतनाम युद्ध, इराक और अफगानिस्तान युद्ध के बाद इन देशों में अमेरिकी यातना केंद्र और ड्रोन हमलों ने अमेरिकी आधिपत्य के पतन में प्रमुख भूमिका निभाई है।
यह भी पढ़ें
तेल के फैसले पर अमेरिका सऊदी अरब से नाराज़
डेविड डी. स्कीन एक लेखक, प्रोफेसर, सलाहकार और सार्वजनिक वक्ता हैं, उन्होंने एक पुस्तक "द डिस्लाइन ऑफ अमेरिका: 100 इयर्स ऑफ लीडरशिप फेल्योर्स" लिखी, जो पिछले सत्रह अमेरिकी राष्ट्रपतियों काे कार्यकाल का सावधानीपूर्वक प्रलेखित विश्लेषण प्रस्तुत करती है में लिखा कि दुनिया में अमेरिकी आधिपत्य के पतन की शुरूआत 2008 की आर्थिक मंदी के बाद से होती है।
बर्मिंघम में बर्मिंघम विश्वविद्यालय के प्रोफेसर जेम्स पेट्रास ने अपनी पुस्तक "ज़ायोनिस्म, मिलिटेरिज्म एंड द डिस्लाइन ऑफ यूएस पावर" में उन कारकों पर चर्चा की, जो दुनिया में अमेरिकी शक्ति के पतन का कारण बने।
उनके अनुसार, द्वितीय विश्व युद्ध की समाप्ति के बाद, पश्चिमी यूरोप, जापान और हाल ही में चीन और रूस अपनी आर्थिक क्षमताओं को विकसित करने की ओर बढ़े हैं, जबकि अमेरिका ने इजरायली लॉबी के हितों की ओर बढ़ते हुए सैन्यवाद की ओर रुख किया।
संक्षेप में कहें तो इतिहास कभी खत्म नहीं होता, लेकिन अमेरिका जरूर समाप्त हो जाएगा...