सऊदी अरब की राजधानी रियाद में आयोजित होने वाला हैलोवीन समारोह कई विवादों और आलोचनाओं में घिर गया है। धार्मिक कार्यकर्ता और उलेमा इस देश में हैलोवीन के आयोजन को शरीअत विरोधी और बिन सलमान के सत्ता में आने के बाद सऊदी शासकों द्वारा इस देश के धार्मिक-रूढ़ीवादी आदर्शों को तोड़ने की कोशिश के रूप में देखते हैं।
इस समारोह के आयोजन की दुनिया भर के हज़ारों मुसलमानों ने निंदा की है। उनका मानना है कि इस देश में जो हो रहा है वह पश्चिम की नकल है और इसका किसी भी तरह से इस्लाम से कोई लेना-देना नहीं है। खासकर तब जबकि सऊदी अरब में मक्का और मदीना जैसे पवित्र स्थल होने के कारण इस देश को मुसलमानों का एक महत्वपूर्ण केंद्र माना जाता है।
सऊदी अरब में हैलोवीन बिदअत का एक नतीजा यह है कि इस समारोह के दौरान एक महिला के साथ छेड़छाड़ की गई, जो उत्सव के पीछे दुर्भावनापूर्ण इरादों को दर्शाता है।
दुनिया भर के अरबों और मुसलमानों ने सऊदी अरब की राजधानी में हैलोवीन के उत्सव पर व्यापक प्रतिक्रिया व्यक्त दी है। मुसलमानों द्वारा इस देश में अधिकारियों द्वारा हैलोवीन के आयोजन की अनुमित देने और मीलादुन्नबी के हराम बताते हुए प्रतिबंधित करने पर आश्चर्य और क्रोध का इज़हार किया है।
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और कुछ आलोचकों ने इस डरावने उत्सव को इस्लाम धर्म की अनदेखी की शुरुआत मानते हुए भविष्य की घटनाओं के बारे में चिंता व्यक्त की है।
क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान के सत्ता के शिखर पर आने के बाद से इस देश ने हर कुछ समय बाद नई घटनाओं द्वारा दुनिया को चौंकाया है। सऊदी क्राउन प्रिंस द्वारा देश में लाए जा रहे परिवर्तन न केवल इस्लाम धर्म के विरुद्ध हैं बल्कि वहाबियत की शिक्षाओं के भी विरुद्ध हैं। कोई भी सरकार जो अपने आप को मुसलमान होने का दावा करती है वह हैलोवीन के अनुमति देने और मीलादुन्नबी के हराम होने का जायज़ औचित्य नहीं बयान कर सकती है, और आम जनता भी जानती है कि यह न केवल इस्लाम के विरुद्ध है बल्कि सऊदी अरब की संस्कृति के भी विरुद्ध है।
सऊदी अरब में अब तक जो कुछ हुआ है और भविष्य में जो कुछ होगा क्या उसको देकने के बाद कोई बिन सलमान के सुधारों की प्रशंसा कर सकेगा? और क्या कोई गर्व के साथ यह कह सकेगा कि यह वह देश है जहां "अल्लाह और शरीअत की सरकार" है?