ख़बरों के अनुसार, 68 ‘विदेशियों’ को ‘डिटेंशन सेंटर’ में ले जाया गया था, जिसे गुवाहाटी से लगभग 130 किमी पश्चिम में गोआलपाड़ा में बने आधिकारिक ‘ट्रांजिट कैंप’ के तौर पर जाना जाएगा। हिरासत में लिए गए लोगों में 45 पुरुष, 21 महिलाएं और दो बच्चे हैं, जिन्हें अर्ध-न्यायिक विदेशी ट्रिब्यूनल द्वारा ‘विदेशी घोषित’किया गया है और जिन्हें न्यायिक अदालतों द्वारा वीज़ा उल्लंघन का दोषी ठहराया गया है।
जहां वीज़ा उल्लंघन के दोषी ठहराए गए लोगों को उनके मेजबान देशों में भेजा जा सकता है, वहीं जो लोग ‘विदेशी घोषित’किए गए हैं, वे विदेशी ट्रिब्यूनल के फ़ैसले के खिलाफ अपील कर सकते हैं और उन्हें अनिश्चित काल तक हिरासत में रखा जा सकता है।
केंद्र सरकार के दिशानिर्देशों के अनुसार 2.5 हेक्टेयर में बनाए गए मटिया ट्रांजिट कैंप में 3,000 लोग रह सकते हैं। बताया गया है कि जल्द ही राज्य भर के छह डिटेंशन केंद्रों जो कोकराझार, गोआलपाड़ा की जिला जेलों और तेजपुर, सिलचर, डिब्रूगढ़ और जोरहाट की केंद्रीय जेलों में बने हैं, में बंद सभी ‘विदेशियों’ को वहां ले जाया जाएगा।
राज्य सरकार ने सितम्बर 2022 में बताया था कि छह डिटेंशन कैंपों में 195 बंदियों को रखा गया है।
अखबार ने यह भी बताया कि असम में सामाजिक कार्यकर्ताओं ने ‘घोषित विदेशियों’ को ट्रांजिट कैंप में स्थानांतरित करने के सरकार के क़दम का विरोध किया है क्योंकि यह केवल ‘दोषी पाए हुए विदेशियों’ के लिए है।
उल्लेखनीय है कि 2019 के एक ऐतिहासिक फ़ैसले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि ऐसे ‘घोषित विदेशी’ जिन्होंने तीन साल से अधिक समय हिरासत केंद्रों में बिताया है, उन्हें ज़मानत दी जा सकती है।
डेक्कन हेराल्ड के अनुसार, 1,000 से अधिक ‘घोषित विदेशी’ को ‘डिटेंशन केंद्रों’ में रखे गए थे, लेकिन अब करीब 200 ही रह गए हैं।
असम में लोगों को तब विदेशी घोषित किया जा सकता है यदि वे यह साबित करने में विफल रहते हैं कि वे या उनके पूर्वज 24 मार्च, 1971 को या उससे पहले भारत में रहते थे, जो 1985 के असम समझौते में कट-ऑफ तारीख है।