बहरीन सरकार द्वारा एक द्वीप इजरायल को बेचने पर लोगों में क्रोध
बहरीन सरकार द्वारा देश के एक द्वीप को इजरायल को बेचने पर देश और अरब दुनिया के यूज़र्स ने अपना क्रोध प्रकट किया है और बहरीन सरकार की निंदा की है।
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बहरीन सरकार द्वारा देश के एक द्वीप को इजरायल को बेचने की खबर बाहर आने के बाद सोशल मीडिया पर बहरीनी और अरब दुनिया के यूज़र्स ने सरकार के इस कदम की आलोचना की है।
बहरीन की एक प्रमुख कार्यकर्ता मरियम अल-ख्वाजा ने एक ट्वीट में लिखा: ऐसी खबरें हैं कि इजरायल ने अल-खलीफा से बहरीन में एक द्वीप खरीदा है; एक शासन जो इस देश पर हिंसा से शासन करता है।
उन्होंने आगे कहा: यह कार्रवाई बहरीन में इजरायल के औपनिवेशिक प्रभाव के विकास और विस्तार को दर्शाती है।
बहरीन के राजनीतिक कार्यकर्ता इब्राहिम अल-शरीफ ने भी एक ट्वीट में लिखा: क्या बहरीन को यहूदी बनाने की प्रक्रिया शुरू हो गई है? मनामा में एक द्वीप को इजरायल को बेचने की खबर के संबंध में अल-खलीफा शासन को क्या स्पष्टीकरण देना है?
सलाम के नाम से मशहूर बहरीन के लोकतंत्र और मानवाधिकार संगठन के प्रमुख ने भी अल-खलीफा सरकार की हरकत को बेहद खतरनाक और चिंताजनक बताया।
एक यूजर ने ट्विटर पर लिखा, "क्या यह सच है कि यहूदी नेशनल फंड ने बहरीन में एक द्वीप खरीदा है?" मुझे उम्मीद है कि इस खबर का खंडन किया जाएगा, बहरीन देश एक छोटा सा द्वीप है, वह अपनी जमीन को एक ऐसे शासन को जो अरब के खून के प्यासे हैं और अरब विरोधी नारे लगाते हैं को एक हिस्सा कैसे बेच सकता है?
अरब प्रायद्वीप अध्ययन और अनुसंधान केंद्र ने भी इस संबंध में लिखा है: अल-खलीफा की यह कार्रवाई देशद्रोह है। बहरीन अपना एक द्वीप इजरायल को बेचता है और उस पर अपनी संप्रभुता छोड़ने की तैयारी करता है।
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पिछले हफ्ते, ज़ायोनी टीवी चैनल 7 ने एक समाचार में घोषणा की कि "हिमनोटा" कंपनी, जो इज़राइल में यहूदी राष्ट्रीय कोष की सहायक कंपनियों में से एक है, ने बहरीन से एक द्वीप खरीदा है। हालांकि कुछ ही मिनटों के बाद उसने इस समाचार को बिना किसी स्पष्टीकरण के अपनी वेबसाइट से हटा दिया।
इस हिब्रू मीडिया में प्रकाशित खबर में यह घोषणा की गई थी कि उक्त द्वीप का क्षेत्रफल 9,554 वर्ग मीटर है और इसे एक अरब कंपनी से नीलामी में 21.5 मिलियन डॉलर की कीमत पर खरीदा गया था। यह द्वीप आवासीय है और इसमें निवेश योजनाओं के साथ-साथ अपने प्राकृतिक दृश्य भी हैं।
कंपनी के निदेशक मंडल के सदस्य, और ब्लूव्हाईट पार्टी के प्रतिनिधि अविरी शनीर ने इस संबंध में कहा: द्वीप में एक गगनचुंबी इमारत बनाई जा सकती है जिसे किसी प्नाकृतिक आपदा या युद्ध के समय इजरायली नागरिकों के परिवहन के लिए एक विकल्प के रूप में माना जा सकता है।
द्वीप बेचे जाने के की खबरें ऐसे समय में आ रही हैं कि जब कुछ समय पहली की यह खबर आई थी कि इजरायल बहरीन में यहूदी आबादी में बढ़ोतरी के लिए राजधानी मनामा में दलालों को माध्यम से घर खरीदने की प्रक्रिया जारी रखे हुए हैं।
सितंबर 2020 में यूएई द्वारा इजरायल के साथ आधिकारिक सामान्यीकरण समझौते पर हस्ताक्षर करने के बाद इजरायल से संबंध सामान्य बनाने वाला बहरीन दूसरा अरब देश था।
चूंकि बहरीन में अल-खलीफा शासन को रियाद, वाशिंगटन और अन्य विदेशी अभिनेताओं पर निर्भर कठपुतली सरकार माना जाता है, इसलिए घरेलू और विदेशी मामलों के बारे में स्वतंत्र निर्णय लेने की शक्ति उसके पास कभी नहीं थी।
घरेलू और विदेश नीति में बहरीन की विदेशियों और सऊदी अरब पर निर्भरता के कारण इजरायल के साथ इस समझौते को भी सऊदी अरब और अमेरिकी की देखरेख में किए गए समझौते के रूप में देखा जा रहा है।
मनामा और तेल अवीव के बीच संबंधों को सामान्य करने के समझौते की बहरीन के विभिन्न क्षेत्रों के लोगों ने भी कई बार विरोध प्रदर्शन आयोजित करके निंदा की है।
इज़रायल के साथ संबंधों को सामान्य बनाने के लिए बहरीन सरकार की कार्रवाइयों को कड़े सार्वजनिक विरोध का सामना करना पड़ा है और इसके कारण बहरीन इजरायलियों के लिए असुरक्षित देशों में शामिल हो गया है।
बहरीन के लोग अपने आंतरिक मामलों में विदेशी विशेष रूप से इजरायल के हस्तक्षेप पर आपत्ति जताते हैं।
बहरीन सरकार के सऊदी अऱब सरकार के साथ करीबी संबंध ने इस देश में इजरायल के लिए रास्ता खोला है, और इस देश में यहूदियों का हस्तक्षेप बढ़ा है। जानकारों का मानना है कि देश में इजरायल का बढ़ता रसूख देश और अरब दुनिया के लिए खतरनाक है।