नौ महीने की क्रूर लड़ाई और बड़ी संख्या में हताहतों के बाद, रूस का दावा है कि उसने अब पूर्वी यूक्रेन के बखमुत शहर पर कब्जा कर लिया है।
रिपोर्टों के अनुसार बखमूत पर कब्ज़े के दौरान 80 हज़ार से 2 लाख सैनिकों की जान गई है। बड़ा प्रश्न यह है कि आखिर बखमूत में ऐसा क्या है कि रूस ने उसपर कब्ज़ा करने के लिए इतनी बड़ी कीमत चुकाई है?
यह छोटा सा क्षेत्र रूस के लिए यूक्रेन के अनलॉक करने की कुंजी थी। यह वही क्षेत्र है जहां पिछले कई सालों से नाटो के बेस का निर्माण किया जा रहा था। जिसका मकसद रूस के टुकड़ने करना था। लेकिन रूस ने इस हिस्से पर कब्ज़ा करके नाटो के मकसद पर पानी फेर दिया। नाटो के ही गोला-बारूद से रूस ने नाटो के सपनों को जलाकर खाक कर दिया।
रणनीतिक रूप से बखमूत इतना अहम है कि अगर यह क्षेत्र यूक्रेन के पास रहता यूक्रेन रूस के रसद को आसानी से निशाना बना सकता था और नाटो की सहायता से रूसी सेना को पीछे से निशाना बना सकता था।
लेकिन अब यह किला रूस के हाथ में है और रूस जानता है कि इसका यूक्रेन और नाटो के विरुद्ध किस प्रकार उपयोग किया जा सकता है।