प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 28 मई को संसद के नए भवन का उद्घाटन करेंगे। कांग्रेस समेत 19 विपक्षी पार्टियों ने नई संसद के उद्घाटन समारोह का बायकॉट करने का फैसला लिया है।
उनका कहना है कि इसका उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की जगह राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के हाथों से होना चाहिए।
पुरानी संसद का क्या होगा?
पुराने संसद भवन को ब्रिटिश वास्तुकार सर एडविन लुटियंस और हर्बर्ट बेकर ने 'काउसिंल हाउस' के रूप में डिजाइन किया था। इसे बनाने में छह साल(1921-1927) लगे थे। उस वक्त इस भवन में ब्रिटिश सरकार की विधान परिषद काम करती थी।
तब इसे बनाने पर 83 लाख रुपये खर्च हुए थे, वहीं आज नए भवन को बनाने में करीब 862 करोड़ रुपये खर्च आया है। जब भारत आजाद हुआ तो 'काउसिंल हाउस' को संसद भवन के रूप में अपनाया गया। अधिकारियों के अनुसार मौजूदा संसद भवन का इस्तेमाल संसदीय आयोजनों के लिए किया जाएगा।
कौन बना रहा है नया संसद भवन
नई इमारत बनाने का ठेका टाटा प्रोजेक्ट्स लिमिटेड को मिला है। उसने सितंबर 2020 में 861.90 करोड़ रुपये की बोली लगाकर ये ठेका हासिल किया था।
नया संसद भवन सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट का हिस्सा है। इस प्रोजेक्ट का खाका गुजरात स्थित एक आर्किटेक्चर फ़र्म एचसीपी डिज़ाइन्स ने तैयार किया है।
सेंट्रल पब्लिक वर्क्स डिपार्टमेंट (सीपीडब्ल्यूडी) ने संसद, कॉमन सेंट्रल सेक्रेटेरिएट और सेंट्रल विस्टा के डेवलपमेंट के लिए कंसल्टेंसी का काम एचसीपी डिजाइन, प्लानिंग एंड मैनेजमेंट को पिछले अक्टूबर, 2019 में सौंपा था।
सेंट्रल विस्टा इलाके के मास्टर प्लान के डिवेलपमेंट और नई जरूरतों के हिसाब से बिल्डिंग्स का डिजाइन बनाने के काम में यह कंपनी शामिल रही है।
इसके लिए कंसल्टेंट नियुक्त करने का टेंडर सीपीडब्ल्यूडी ने पिछले साल सितंबर में निकाला था. कंसल्टेंसी के लिए 229.75 करोड़ रुपये का खर्च तय किया गया था। इस बिड में एचसीपी डिजाइन को जीत हासिल हुई।
एचसीपी डिजाइन के पास गुजरात के गांधीनगर में सेंट्रल विस्टा और राज्य सचिवालय, अहमदाबाद में साबरमती रिवर फ्रंट डेवलपमेंट, मुंबई पोर्ट कॉम्प्लेक्स, वाराणसी में मंदिर कॉम्प्लेक्स के रीडिवेलपमेंट, आईआईएम अहमदाबाद के नए कैंपस के डिवेलपमेंट जैसे कामों का पहले से अनुभव है।