चीन भारतीय पत्रकारों को क्यों वापस भेज रहा है?
चीन ने भारत के आखिरी पत्रकार को भी देश छोड़ने का आदेश दे दिया है। यह पत्रकार न्यूज एजेंसी पीटीआई से हैं। उनके चीन में रहने से संबंधित दस्तावेजों को रिन्यू नहीं किया गया है।
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सवाल उठता है कि आखिर भारतीय पत्रकारों को चीन क्यों देश में नहीं रहने देना चाहता है?
इस साल जनवरी तक चीन में भारत के कुल चार पत्रकार थे। अप्रैल में पहले चीन ने दो पत्रकारों के वीजा दस्तावेजों को रिन्यू करने से इनकार कर दिया था। तब उन्हें वापस भारत आना पड़ा था। तीसरे पत्रकार ने पिछले हफ्ते ही चीन छोड़ा है। अब आखिरी पत्रकार को भी चीन छोड़ना पड़ा।
क्यों चीन ने भारतीय पत्रकारों को देश छोड़ने पर किया मजबूर?
इसके लिए हमें थोड़ा पीछे चलना पड़ेगा। 2016 तक भारत में चीन की सरकारी संगठनों के लिए काम करने वाले चीनी पत्रकारों की संख्या लगभग 14 थी। जुलाई 2016 में, भारत ने शिन्हुआ के तीन पत्रकारों को निष्कासित कर दिया था। इनमें नई दिल्ली और मुंबई में संगठन के ब्यूरो प्रमुख भी शामिल थे।
तब सुरक्षा एजेंसियों ने खुलासा किया था कि ये लोग पत्रकारिता के अलावा अन्य गतिविधियों में भी शामिल हैं। वहीं, चीन में भारतीय पत्रकारों की संख्या तीन थी। चीन कभी भी भारतीय पत्रकारों को दो से तीन साल से ज्यादा चीन में नहीं रहने देता था। वहीं, भारत में चीन के पत्रकार लंबे समय तक रहते थे।
भारत में चीनी पत्रकारों के रवैये का पता लगने के बाद से एजेंसियों ने उनपर नजर रखना शुरू कर दिया। मालूम चला कि भारत में रहकर चीनी एजेंसियों और चैनलों के लिए काम करने वाले अन्य चीनी पत्रकार भी पत्रकारिता के नाम पर चीन के जासूस बने हुए हैं।
इसके बाद एक-एक करके चीन के कई पत्रकारों के वीजा को रिन्यू करने से भारत ने मना कर दिया। कुछ पत्रकार कोरोना महामारी के दौरान खुद भारत छोड़कर चले गए। मई में एससीओ की मीटिंग के लिए भारत ने चीनी पत्रकारों को अस्थायी वीजा जारी किए थे। उधर, भारत की कार्रवाई के बाद चीन ने भी बदला लेना शुरू कर दिया। चीन ने एक-एक करके सभी भारतीय पत्रकारों को वापस लौटा दिया।
चीन ने क्या कहा?
चीन का आरोप है कि भारत में उसके पत्रकारों से सही बर्ताव नहीं किया जाता। इसलिए, वो भी सख्त कदम उठाने पर मजबूर है। हालांकि सोमवार को चीन का रूख बदला नजर आया। चीन के विदेश मंत्रालय ने कहा, 'उम्मीद है, दोनों देश इस तनाव को दूर करने के लिए बीच का रास्ता निकाल लेंगे।'
चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता वांग वेनबिन ने कहा, 'हालिया कुछ सालों में चीन के पत्रकारों के साथ भारत में सही बर्ताव नहीं किया गया। वह भेदभाव का शिकार हुए। इसके बावजूद हमें उम्मीद है कि भारत हमारे पत्रकारों को वीजा जारी करता रहेगा।'
वांग ने आगे कहा, 'हम ये भी उम्मीद करते हैं कि भारत में हमारे पत्रकारों के लिए जो परेशानियां पैदा की जाती हैं, उन्हें खत्म किया जाएगा। ऐसे हालात बनाए जाएंगे, जिससे दोनों देशों के पत्रकार एक-दूसरे के देश में सुकून से काम कर सकें।' वांग ने बातचीत के जरिए इस मसले को हल करने की बात भी कही।
भारत ने क्या जवाब दिया?
भारत सरकार ने इस महीने की शुरुआत में कहा था कि चीनी पत्रकारों को यहां काम में कोई दिक्कत नहीं हो रही है, लेकिन चीन में भारतीय पत्रकारों के लिए ऐसा माहौल नहीं है। चीन में भारतीय पत्रकारों से साथ भेदभाव होता है और काम नहीं करने दिया जाता है। केंद्र सरकार ने इस मसले को बातचीत के जरिए हल करने के लिए कहा था।
कुछ अफसरों का कहना है कि वीजा विवाद की शुरुआत चीन में रिपोर्टिंग में मदद के लिए भारतीय पत्रकारों द्वारा सहायकों को भर्ती करने से हुई थी। चीन ने अपनी नीतियों में एक समय पर तीन सहायकों की सीमा तय की है। वहीं, भारत में इस तरह की भर्ती के लिए कोई सीमा नहीं है।
कई देशों के पत्रकारों के साथ गलत रवैया अपनाता है चीन
ऐसा नहीं है कि चीन ने केवल भारतीय पत्रकारों के साथ इस तरह का गलत रवैया अपनाया है। चीन इसी तरह के मामलों में ऑस्ट्रेलिया और अमेरिका से भी भिड़ चुका है। 2020 में दो ऑस्ट्रेलियाई पत्रकारों को चीन छोड़ने पर मजबूर किया गया था। चीन का आरोप था कि ऑस्ट्रेलिया में उसकी मीडिया कंपनियों पर छापे मारे जा रहे हैं और उनकी संपत्ति जब्त की जा रही है।