रूस की सेना में नेपाली युवाओं के भर्ती होने पर बवाल क्यों
नेपाल में बेहद ग़रीबी में जी रहे रमेश किसी भी तरह इससे निजात पाना चाहते थे। लेकिन रूस में अपनी पढ़ाई ख़त्म करने के बाद भी उनकी मुसीबतें कम नहीं हुई थीं। आयें जानते है रमेश की ग़रीबी क के बारे मेें।
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रमेश (बदला हुआ नाम ) नेपाल से रूस स्टूडेंट वीज़ा पर आए थे। उन्हें एक बेहतर ज़िंदगी की तलाश थी। या तो वो नेपाल लौट जाते और कोई मामूली नौकरी में लग जाते या रूस में कोई बेहतर काम तलाशते लेकिन ये इतना आसान नहीं था।
रमेश ने नेपाल में ऑनलाइन बातचीत में बताया, ''मेरी तरह रूस आने वाला वो हर छात्र परेशानी में था. उन्हें अच्छी नौकरी नहीं मिल रही थी।’
रूसी सेना में भर्ती होने के लिए 'काउंसिलिंग सर्विस'
आख़िरी बार जब रमेश से संपर्क किया था तो उनके पास बिल्कुल भी वक़्त नहीं था। उन्होंने बताया कि उन्हें ट्रेनिंग के लिए बेलारूस ले जाया जा रहा है।
इसके बाद अपने हफ़्तों की पड़ताल में पाया कि सिर्फ़ रमेश ही एक मात्र नेपाली शख्स नहीं हैं, जो रूस की सेना में शामिल हुए हैं। राज भी एक छात्र हैं, जो उच्च शिक्षा के लिए रूस पहुँचे थे।
लेकिन जब रूस ने अप्रैल 2022 में अपनी सेना में विदेशियों की भर्ती का एलान किया है, तो बहुत कम रूसी जानने वाले नेपालियों ने उन्हें मदद के लिए फ़ोन करना शुरू किया। वो उनसे रूसी भाषा में मिल रहे फॉर्म भरने के लिए मदद मांग रहे थे।
राज ने नेपाली को बताया, ‘’मैंने अपने कई परिचित नेपालियों को आवेदन पत्र भरने में मदद की। यही लोग अब उन लोगों का मेरा नंबर दे रहे हैं जो रूसी सेना में भर्ती होना चाहते हैं
राज नेपाल में पढ़ाई के लिए रूस जाने की इच्छा रखने वाले छात्रों की काउसिंलिंग किया करते थे। अब नेपाल के कई पूर्व सैनिक और छात्र उनसे रूसी सेना में भर्ती होने के लिए मदद मांग रहे हैं।
राज को दिन में एक बार 40-50 फोन कॉल आ जाते हैं. उनसे लोग यही पूछते हैं कि रूसी सेना में कैसे भर्ती हुआ जा सकता है। रूसी सेना में भर्ती होने का वीडियो पोस्ट करने वाले कुछ नेपाली युवकों ने ही बीबीसी को राज का पता दिया था।
राज कहते हैं कि उन्हें ये पता नहीं है कि नेपालियों के लिए रूसी सेना में भर्ती होना ग़ैर-क़ानूनी है या नहीं. वो कहते हैं कि अपनी सलाह के लिए कोई पैसा नहीं लेते। लेकिन उनकी सेवा लेने वाले कुछ नेपालियों ने दावा किया उन्होंने राज को दस हजार नेपाली रुपये दिए।
नेपाल सरकार के नियम क्या कहते हैं?
नेपाल सरकार ने पश्चिमी देशों की तरह यूक्रेन पर रूस के हमले की निंदा की है। लेकिन उसका कहना है कि उसे इस बात का पता नहीं है कि उसके नागरिक रूसी सेना में भर्ती हो रहे हैं।
नेपाल के विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता सेवा लामसाल ने नेपाल से बात फोन पर मिडिया से बात करते हुए कहा, ‘’ये हमारी नीतियों से मेल नहीं खाता।’
नेपाल, भारत और ब्रिटेन के बीच 1947 में एक त्रिपक्षीय संधि हुई थी। इसके तहत नेपाली नागरिक विदेशी सेना में भर्ती हो सकते थे. इस संधि में ये साफ़ लिखा था कि नेपाली नागरिक भारत और ब्रिटेन की सेना में भर्ती किए जाएंगे।
इसमें साफ़ लिखा है कि इन सेनाओं में शामिल होने वाले नेपाली ‘भाड़े के सैनिक’ नहीं माने जाएंगे। ये संधि सिर्फ़ भारत और ब्रिटेन के साथ हुई थी। किसी और देश की सेना में नेपालियों को भर्ती को लेकर ऐसी कोई नीति नहीं है।
बीबीसी ने नेपाली ने इस मामले पर बात करने के लिए रूस में नेपाल के राजदूत मिलनराज तुलाधार से संपर्क किया।
तुलाधर ने बताया, ’’जो नेपाली नागरिक रूस में पढ़ने या घूमने आते हैं, वो कोई दूसरा काम नहीं कर सकते। नेपाल के नागरिक सिर्फ़ भारत और ब्रिटेन की सेना में भर्ती हो सकते हैं। ये तीनों देशों के संधियों की वजह से है। रूस के साथ नेपाल की ऐसी कोई संधि नहीं है।’
उन्होंने कहा कि रूस की सेना में भर्ती होने वाले नेपाली लोग टिकटॉक पर जो वीडियो अपलोड कर रहे हैं उनकी असलियत का पता नहीं लगाया जा सकता।
सोर्स बीबीसी